दिल्ली : राकेश टिकैत ने कहा कि साल 2017 में सरकार बनने के साथ ही मुख्यमंत्री ने 14 दिन में गन्ने का भुगतान कराने और न करा पाने पर ब्याज देने की बात कही थी, लेकिन हुआ क्या ?
तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 10 माह से दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कान खोलकर सुन ले, किसानों को गन्ने का रेट सवा चार सौ रुपये क्विंटल से एक पाई कम मंजूर नहीं होगा. सरकार ने ऐसा नहीं किया तो केंद्र सरकार से काले कानूनों और एमएसपी की गारंटी के लिए चल रही लड़ाई के साथ ही भारतीय किसान यूनियन सूबे की सरकार की भी मोर्चेबंदी करेगी. उन्होंने कहा कि 2017 में अपने घोषणा-पत्र में गन्ने का रेट 370 रुपये प्रति क्विंटल करने का वादा करके ये लोग सरकार में आए थे. अब इस रेट में साढ़े चार साल में बेतहाशा बढ़ी महंगाई का भी हिसाब जोड़ लो, किसान पूरा हिसाब जोड़े बैठा है. किसी भी हाल में सवा चार सौ रुपये से कम रेट पर वह मानने वाला नहीं है.
चौधरी टिकैत ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि उत्तर प्रदेश सरकार गन्ने का रेट बढ़ाने की कवायद में जुटी है. यह अच्छी बात है लेकिन अबकी बार हिसाब पक्का होगा. किसान को यदि गन्ने के रेट को लेकर भरमाने का प्रयास किया गया तो भाकियू प्रदेशभर में जबरदस्त आंदोलन करेगी. उन्होंने कहा कि सरकार गन्ने का बकाया जल्दी भुगतान कराए, किसान के लिए बिजली के रेट कम करे और सरकार की नीतियों के कारण अवारा पशुओं से फसल को हो रहे नुकसान का खामियाजा भी भुगतने को तैयार रहे. उत्तर प्रदेश का किसान अवारा पशुओं से हो रहे नुकसान से तंग आ चुका है, और सरकार नहीं मानी तो चुनाव में जवाब देगा.
पिछले दो महीने से बीजेपी किसानों के साथ संवाद करने में जुटी है. पश्चिमी यूपी में घर घर जाकर पार्टी के कार्यकर्ता किसानों को कृषि क़ानून के फ़ायदे समझा रहे हैं. पिछले महीने ही लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर पर किसानों की एक बैठक हुई थी. इस मीटिंग में योगी ने गन्ने के रेट बढ़ाने की बात कही थी. पार्टी का किसान मोर्चा नाराज़ किसानों को मनाने में जुटी है. ये भी मैसेज दिया जा रहा है कि किसान आंदोलन सिर्फ़ राकेश टिकैत की आंदोलन है. पार्टी के एक सीनियर नेता ने तो ये भी कहा कि मायावती और अखिलेश यादव ने गन्ने का रेट बढ़ाया तो भी चुनाव हार गए.