क्या आप जानते हैं: जम्मू-कश्मीर 'बैंगनी क्रांति' की ओर बढं चला Featured

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में करीब 200 प्रगतिशील किसानों ने मक्के की पारंपरिक खेती छोड़ पहाड़ियों के ढलान पर खुशबूदार लैवेंडर के फूल की खेती शुरू की है जो उनके लिए अपेक्षाकृत अधिक फायदेमंद होने के साथ जिले में ‘बैंगनी क्रांति’ की भी शुरुआत है। केंद्र सरकार की सुगंध मिशन योजना के तहत लैवेंडर के फूल की खेती करने वाले किसानों ने कहा कि गैर पारंपरिक सुगंधित पौधों की खेती शुरू कर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सपने को साकार कर रहे हैं।

 

प्राकृतिक उत्पादों से दवा पर शोध करने की प्राथमिक जिम्मेदारी के साथ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने छोटे और सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के लिए पूरे देश में सुंगध वाली फसलों के उत्पादन को लोकप्रिय करने और मूल्य संवर्धन उपाय के लिए प्रौद्योगिकी देने के लिए सुगंध मिशन की शुरुआत की है। मूल रूप से यूरोप की प्रजाति लैवेंडर की खेती को भारतीय समवेत औषध संस्थान (आईआईआईएम)ने सीएसआईआर के सुगंध मिशन के तहत 2018 में डोडा, किश्तवाड़ और राजौरी जिले में लोकप्रिय करने की शुरुआत की थी। ठंडी जलवायु और अनुकूल परिस्थितियों के मद्देनजर डोडा जिले स्थित भद्रवाह क्षेत्र के 200 सीमांत किसानों ने लैवेंडर की खेती शुरू की।

सीएसआईआर-आईआईआईएम जम्मू के वरिष्ठ वैज्ञानिक सुमित गैरोला ने बताया, ‘मार्च 2020 तक सीएसआईआर के सुगंध मिशन के तहत 500 किसानों को 100 एकड़ जमीन में लैवेंडर की खेती के लिए आठ लाख पौधे मुफ्त में दिए है।’ उन्होंने बताया कि इसके अलावा उन्हें लैवेंडर का तेल निकालने सहित अन्य तकनीकी सुविधा भी दी गई और किसानों ने 2018 से 2020 के बीच 800 लीटर लैवेंडर तेल का उत्पादन किया जिसकी कीमत 80 लाख रुपये है। गैरोला ने बताया कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय की पहल के बाद स्थानीय उद्यमी भी उन्हें प्रोत्साहित कर रहे हैं।

 

source- NBT

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Last modified on Wednesday, 08 September 2021 15:48

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