छत्तीसगढ़ में कोसा के व्यवसाय से महिलाएं बन रही है आत्मनिर्भर और कमा रही है हजारो रूपये Featured

 कोरिया  : मेहनत, हौसला और आगे बढ़ने की चाह हो तो खुशियां कोसा उत्पादन एवं महीन धागों से भी खींचीं चली आती हैं। कोसा उत्पादन एवं कोसे के इन्हीं महीन धागों से कोरिया जिले की महिलाएं अब अपने जीवन का ताना-बाना बुनकर अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहीं है। रेशम विभाग के सहयोग से महिलाओं ने कोसाबाड़ी में कोसा उत्पादन एवं कोसा से धागा निकालने की कला सीखकर न सिर्फ अपने आय का एक नया जरिया बनाया है, बल्कि आत्म निर्भर बनकर पूरे परिवार के जीवन स्तर को एक नई दिशा दे रही है। कभी खेती बाड़ी और घर के काम काज में पूरा दिन लगाने वाली ये महिलाएं आज कोसाबाड़ी में कोसा उत्पादन एवं कोसा धागा बेचकर लगभग 6-7 हजार रूपये प्रतिमाह अतिरिक्त आय प्राप्त कर रही है।

रेशम विभाग के जिला रेशम अधिकारी श्री श्याम कुमार उक्त जानकारी देते हुए आगे बताते हैं कि रेशम विभाग के द्वारा महिलाओं को कृषि पालन एवं धागाकरण का प्रशिक्षण दिया गया। काफी लगन एवं मेहनत से इन महिलाओं ने कोसाबाड़ी में कोसा उत्पादन एवं कोसा से धागा निकालने की कला को सीखा और उसे निखारते हुए आगे बढ़ रही है। रेशम विभाग के सहयोग से जिले में पावर लूम के द्वारा इन महीन धागों से कपड़ा भी तैयार किया जा रहा है जिससे आय दोगुनी हो जाती है।

वे बताते हैं कि कोसा उत्पादन, कोसा खरीदी से लेकर, धागा बनाने उसे बेचने तक का काम महिलाएं खुद कर रही है। कोसाबाड़ी में रेशम विभाग के द्वारा विभिन्न रेशम केन्द्रों में 8-10 महीनों का रोजगार उपलब्ध कराया जाता है। ये महिलाएं कोसाबाड़ी में कोसा उत्पादन के साथ- साथ कोसा फलों से धागाकरण कार्य करके रील्ड यार्न, घीचा यार्न का उत्पादन करती है, जिसे व्यापारियों को बेचकर या लूम के द्वारा कपड़ा तैयार कर बिक्री की जाती है। 

जिला रेशम अधिकारी ने यह भी बताया कि जिला प्रशासन के सहयोग से मनरेगा योजनान्तर्गत नर्सरी अर्जुन साजा पौधा तैयारी एवं पौधारोपण कार्य, ग्रीन फेसिंग कार्य, तथा जल संवर्धन हेतु कंटूर ट्रेंच निर्माण कार्य आदि कार्याे के द्वारा श्रमिकों एवं हितग्राहियों को लगातार रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है।

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Last modified on Wednesday, 04 August 2021 23:51

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