Lac in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ की महिलाओं से सीखें लखपति बनाने का तारिका, कमा रही लाखो रुपए Featured

सुराजी गांव योजना के तहत गांव-गांव में बनाए गए गौठानों में ग्रामीण महिलाओं को स्वावलंबी बनने का नया रास्ता मिल रहा है। वर्मी कंपोस्ट उत्पादन, सब्जी-भाजी उत्पादन, चारागाह विकास, लाख खेती, मुर्गी पालन, बकरी पालन जैसे आर्थिक गतिविधियों से उनकी आमदनी में इजाफा हो रहा है और घर चलाने में भी मदद मिल रही है।

 

गंगा-जमुना महिला स्व-सहायता समूह

 गंगा-जमुना महिला स्व-सहायता समूह के सदस्य खिलेश्वरी साहू और उनकी समूह की महिलाओं द्वारा नवागांव भावगीर सहित आसपास के गांव मर्दापोटी, ईरादाह, घोटिया, आमाझोला, ईच्छापुर गांवों में 8 एकड़ में लाख पालन का कार्य किया जा रहा है, जिसे उन्होंने 07 लाख रूपये में बेचा है।

इस समूह की सदस्य किरण सेन कहती हैं कि उनके समूह द्वारा गौठान के तीन एकड़ जमीन में नेपियर घास लगाया जाएगा और ज्वार की खेती भी की जाएगी।

lakh2

 

छत्तीसगढ़ और विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र में इसका उत्पादन और संग्रहण व्यवसायिक स्तर पर किया जाता है।

लाख एक प्रकार का राल अथवा रेज़िन है जो कि एक विशेष कीड़े से प्राप्त होता है। लाख के कीड़े अपनी सुरक्षा हेतु अपने शरीर में उपस्थित सूक्ष्म ग्रंथियों द्वारा राल का स्राव किया जाता है जो हमें लाख के रूप में प्राप्त होता है। इसे वनोपज भी माना जा सकता है क्योंकि इसका उत्पादन जंगल में ही किया जाता है। भारत ही नहीं विश्व के अनेक वनवासी समुदाय इसका संग्रहण करके अर्थोपार्जन करते हैं। छत्तीसगढ़ और विशेष रूप से बस्तर क्षेत्र में इसका उत्पादन और संग्रहण व्यवसायिक स्तर पर किया जाता है।

 

 

 

 

 

 

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

RO no 13028/15
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "

MP info RSS Feed