ओमिक्रॉन के खिलाफ बूस्टर डोज को लेकर मिली बड़ी खुशखबरी... Featured

बोलता गांव डेस्क।। यूनाइटेड किंगडम में कोविड वैक्सीन की बूस्टर डोज को लेकर एक नई स्टडी हुई है, जिसमें मोटे तौर पर यह अनुमान जताया गया है कि यह ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ 88% तक ज्यादा कारगर हो सकता है। ओमिक्रॉन के संक्रमण की रफ्तार को रोकने के लिए यह स्टडी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। गौरतलब है कि 10 जनवरी से भारत में भी फ्रंटलाइन और हेल्थकेयर वर्कर्स के अलावा 60 वर्ष से ज्यादा के रोगग्रस्त बुजुर्गों के लिए भी प्रोटेक्शन डोज की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। जबकि, अमेरिका और यूरोप के कई देशों में बूस्टर डोज पहले से ही दी जा रही है।

52% से बढ़कर 88% तक हो सकता है प्रभावी-स्टडी

मोलेक्युलर मेडिसिन के प्रोफेसर और स्क्रिप्स रिसर्च ट्रांसलैशनल इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉक्टर एरिक टोपोल ने यूनाइटेड किंगडम हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी (यूकेएचएसए) के शोध की रिपोर्ट के नतीजों को साझा करते हुए बताया है कि कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी डोज के बाद ओमिक्रॉन के खिलाफ करीब 6 महीने बाद उसका प्रभाव 52% तक गिर जाता है। लेकिन, इसकी तीसरी या बूस्टर डोज से इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद मिलती है और कोविड संक्रमण के गंभीर लक्षणों से राहत मिलती है, जिसके चलते अस्पतालों में भर्ती होने की आशंका बढ़ सकती है। उन्होंने एक ट्वीट के जरिए कहा है, 'यह टीके की तीसरी खुराक से सुरक्षा को बढ़ावा बनाम ओमिक्रॉन संक्रमण से अस्पताल में भर्ती होना है। तीसरी खुराक के बाद टीके की प्रभावशीलता 52 प्रतिशत (6 महीने के बाद दूसरी खुराक का असर कम होने के कारण) से बढ़कर 88 प्रतिशत हो गई।'

बूस्टर का भी ज्यादा असर 10 हफ्ते तक-शोध

यूकेएचएसए की रिपोर्ट में यह कहा गया है कि डेल्टा की तुलना में ओमिक्रॉन के खिलाफ वैक्सीन कम प्रभावी हो जाती है, और तीसरी डोज के बाद भी 10 हफ्ते में इसका असर घट जाता है। लेकिन, इस शोध इस बात की ओर पुख्ता तौर पर इशारा कर रहा है कि ओमिक्रॉन की वजह से इमरजेंसी केयर या अस्पताल में भर्ती होने की संभावना डेल्टा के मुकाबले आधा है। शुरुआती विश्लेषणों के मुताबिक स्कूली बच्चों, (5 से 17 साल) जिन्हें वैक्सीन लग चुकी है और वह ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित हुए हैं, उन्हें भी डेल्टा के मुकाबले अस्पताल में भर्ती होने का खतरा कम है। सिम्पटोमेटिक इंफेक्शन के मामलों में तीन खुराक लेने वालों में ओमिक्रॉन की वजह से अस्पतालों में भर्ती होने का अनुमान औसतन 68 फीसदी तक कम हो जाता है, अगर इनकी तुलना उनसे की जाए, जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है।

कौन सी वैक्सीन कितनी प्रभावी ?

इस स्टडी में यह भी पाया गया है कि जिन्होंने एस्ट्राजेनेका(भारत में कोवैक्सिन) की वैक्सीन ली है, उनमें दूसरी डोज के पांच महीने बाद ओमिक्रॉन के खिलाफ कोई प्रभाव नहीं था। जबकि जिन लोगों ने फाइजर या मॉडर्ना की दो खुराक ली थी, दूसरी डोज के 6 महीने बाद टीके की प्रभावशीलता लगभग 65 से 70 % से घटकर करीब 10% हो गई। रिपोर्ट के अनुसार बूस्टर डोज के दो से चार सप्ताह के बाद वैक्सीन का प्रभाव 65 से 75% के बीच था, 5 से 9 हफ्ते के बीच यह 55 से 70% रह गया और बूस्टर के 10 हफ्ते के बाद 40 से 50% तक रह गया।

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