सेवा ही कर्म है: 8 माह की गर्भवती नर्स कोरोनाकाल में दे रही निरंतर सेवा, कोरोना मरीजों की सेवा करने में जिला अस्पताल की नर्स ने पेश की मिसाल-
मेडिकल कर्मचारियों की जिम्मेदारी सबसे अधिक हैं, इसलिए मैंने निर्णय लिया कि मैं अपनी ड्यूटी करूंगी और मरीजों की सेवा करूंगी- तारा साहू
स्टॉफ नर्स की काम करने की ललक और सेवा भावना से मैं खुद अभिभूत हूं- कलेक्टर
मेडिकल कर्मचारियों की जिम्मेदारी सबसे अधिक हैं, इसलिए मैंने निर्णय लिया कि मैं अपनी ड्यूटी करूंगी और मरीजों की सेवा करूंगी- तारा साहू
स्टॉफ नर्स की काम करने की ललक और सेवा भावना से मैं खुद अभिभूत हूं- कलेक्टर
बालोद- कोरोना वायरस के दूसरे लहर से जंग में डॉक्टर और मेडिकल स्टॉफ फ्रंट लाइन में कोरोना वारियर्स के तौर पर लड़ रहा है। अपनी जान की चिंता किए बिना इस महामारी से लड़ने को लेकर स्वास्थ्य कर्मियों ने दिन-रात एक कर दिया हैं। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो दूसरों के लिए मिसाल कायम कर रहे है। इसी कड़ी में सेवा ही कर्म हैं, इस भावना के साथ जिला अस्पताल में पदस्थ स्टॉफ नर्स श्रीमती तारा देवी साहू ने भी कोरोना काल में अपने काम से मिसाल पेश की है। श्रीमती तारा देवी साहू 8 माह की प्रेग्नेंट हैं और 6 माह की प्रेग्नेंसी के दौरान इन्होंने कोविड संक्रमितों को भी सेवा दी हैं। वर्तमान में भी पूरी शिद्दत से अपनी ड्यूटी निभा रही हैं। बातचीत में तारा देवी साहू ने कहा कि इसके लिए उनके पति द्वारा भी उन्हें प्रेरित किया गया और कहा जब उन्हें लगे कि अब उनसे ड्यूटी नहीं हो पा रही है, तो वे लीव लेकर घर आ जाए। लेकिन तब तक अपना फर्ज निभाएं। तारा के पति भी मेडिकल लाइन से जुड़े हुए हैं। उनका खुद का मेडिकल की शॉप हैं।
6 माह के प्रेग्नेंसी के दौरान भी तारा ने की कोविड अस्पताल में कोरोना मरीजो की सेवा-
जिला अस्पताल में स्टॉफ नर्स के पद पर कार्यरत श्रीमती तारा देवी साहू इस कोरोना के दूसरे लेयर में लगातार अपनी सेवाएं मरीजों को दे रही हैं। वहीं श्रीमती तारा देवी साहू इस समय 8 माह की प्रेग्नेंट हैं, वे चाहें तो सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक घर पर रहकर आराम कर सकती थीं, लेकिन इस संकट के समय में उन्होंने लोगों की सेवा का रास्ता चुना। दरअसल सरकार की गाइडलाइन के मुताबिक, बुजुर्ग, क्रोनिक डिसीज से ग्रसित व्यक्ति और प्रेग्नेंट महिलाओं को घर पर ही रहने व रेस्ट करने के लिए कहा गया है। कोई भी विभाग ऐसी दशा में अपने कर्मचारियों को काम करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। लेकिन तारा देवी साहू ने लोगों की सेवा के रास्ते को चुना। 8 माह की प्रेग्नेंट तारा लगातार ड्यूटी कर रही हैं। जिसमें उनके पति उनका पूरा सपोर्ट कर रहे हैं। 6 माह के प्रेग्नेंसी के दौरान उनकी ड्यूटी कोविड अस्पताल में लगाई गई थी, चूंकि तारा अब 8 माह के प्रेग्नेंट हो चुकी है, तो उन्हें ओपीडी की जिम्मेदारी दी गई हैं। जिला अस्पताल प्रबंधन द्वारा तारा को घर में रेस्ट के लिए कहा गया हैं, लेकिन उन्होंने मरीजों की सेवा को अपना कर्तव्य मानते हुए अभी छुट्टी लेने से इंकार कर दिया। तारा का मानना है, कि कोरोना संक्रमण के काल में मेडिकल कर्मचारियों की जिम्मेदारी सबसे अधिक है। इसलिए उन्होंने निर्णय लिया कि वो अपनी ड्यूटी करेंगे और मरीजों की सेवा करेंगी।
मेरे लिए प्रेरणादायी- जनमेजय महोबे
स्टॉफ नर्स तारा देवी साहू की सेवा ही कर्म है, इस भावना को देखकर जिले के कलेक्टर जनमेजय महोबे भी अभिभूत हैं। कलेक्टर श्री महोबे ने कहा कि जितने भी हेल्थ वर्कर्स है। फ्रंट लाइन वर्कर्स के रूप में शुरू से अपनी सारी मेहनत और परिश्रम के साथ कोरोना मरीज की सेवा में लगे हुए हैं। उनकी मेहनत के कारण मरीज ठीक भी हो रहे है। स्वस्थ्य होकर अपने घर को लौट रहे हैं। यह एक अद्भुत उदाहरण है, जो इस महिला तारा देवी साहू ने कर के दिखाया है। जिसने अपनी प्रेग्नेंसी को लोगों को बताया भी नही और कर्तव्य का पालन करती रही। बाद में जब पता चला तो उनको कोविड के ड्यूटी से हटाया गया। स्टॉफ नर्स तारा देवी साहू की काम करने की ललक और सेवा भावना से मैं खुद अभिभूत हूं, यह मेरे लिए प्रेरणादायी हैं
(लेखन रवि भूतड़ा )