एमिटी विश्वविद्यालय में रिसर्च कन्क्लेव-शास्त्रार्थ 23 का शुभारंभ Featured

बोलता गांव डेस्क।।

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रायपुर। एमिटी विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नालॉजी की ओर से गुरुवार को दो दिवसीय रिसर्च कन्क्लेव – शास्त्रार्थ-23 का शुभारंभ हुआ। राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के शिक्षाविद्, स्नातक, स्नातकोत्तर और शोधकर्ता अपने अनुसंधान और विकास के अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच साझा कर रहे हैं।

 

इजमीर बायोमेडिसीन एंड जीनोम सेंटर, टर्की के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सीनन गुवेन, सेंटर ऑफ ह्यूमन जेनेटिक्स, बैंगलोर के डॉ. गुरुदत्त बराका, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नालॉजी के सीनियर साइंटिस्ट डॉ. अमितव दास, नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज, बैंगलोर के डायरेक्टर डॉ. एलएस शशिधर ने तकनीकी सत्रों की अध्यक्षता की।

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कन्क्लेव को संबोधित करते हुए एमिटी विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रोफेसर डॉ. पीयूष कांत पांडेय ने कहा- कॉन्क्लेव का उद्देश्य युवाओं के बीच नवाचार, रचनात्मकता और इंटरडिसिप्लिनरी रिसर्च को बढ़ावा देना है। शास्त्रार्थ-23 मध्यभारत का अपनी तरह का पहला सम्मेलन है, इसका उद्देश्य- सामाजिक उत्थान के लिए विचारों के वास्तविक कार्यान्वयन के तरीके प्रदान करके युवाओं की वास्तविक कल्पना, रचनात्मकता और नवाचार का उपयोग करना है।

 

 

डिप्टी प्रो वाइस चांसलर प्रोफेसर सुनीता दवे ने कहा कि आज हम सभी तकनीकी रुप से समृद्ध पर्यावरण के बीच जीवनयापन कर रहे हैं, अब सूचनाओं का संकलन और जिज्ञासापरख ज्ञान का संवर्धन करना पहले से अधिक सहज है। शोधार्थियों और शिक्षाविदों का दायित्व है कि इन तथ्यों का उपयोग समाजहित में करें।

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डिप्टी प्रो वाइस चांसलर और रिसर्च सेल के डायरेक्टर प्रोफेसर सुरेश रहमतकर ने बताया कि नवाचार के इन प्रयासों का ही परिणाम तकनीकी समृद्धि है। जैविक और व्यावहारिक मूल्यों के रहस्य को जानने के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना आवश्यक है। शोध के परिणाम समयांतर में परिवर्तित होते रहते हैं, इसलिए निरंतर शोध और नवाचार होने से विकास के आयामों को उचित दिशा मिलती है।

 

शास्त्रार्थ-23 विभिन्न विषयों के अनुसंधानकर्ताओं का एक संवादपरक सम्मेलन है। गुरुवार को संचालित तकनीकी सत्रों में शिक्षण की वैज्ञानिक, तकनीकी और अनुप्रयुक्त क्षमता को विकसित करने हेतु शिक्षाविदों द्वारा विचार प्रस्तुत किया गया।

 

इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नालॉजी के डायरेक्टर प्रोफेसर डॉ. वाराप्रसाद कोला ने स्वागत भाषण प्रस्तुत कर शिक्षाविदों और अनुसंधानकर्ताओं को कन्क्लेव के मौलिक उद्देश्यों से अवगत कराया। इस दौरान समस्त प्राध्यापक और विद्यार्थी भी उपस्थित रहे।

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