बोलता गांव डेस्क।।
रायपुर। देश की ऐतिहासिक फरवरी ‘23 की गर्मी के बाद मौसम विज्ञान विभाग द्वारा जारी अगले तीन महीनों में हीटवेव की चेतावनी, जलवायु परिवर्तन पर आधिकारिक संयुक्त राष्ट्र के अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की चेतावनी कि आने वाले वर्षों में भारत में हीटवेव अधिक बार और अधिक तीव्रता के साथ घटित होंगी।
वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ग्रुप द्वारा दी गई चेतावनी कि जलवायु संकट ने भारत में हीटवेव की संभावना 30 गुना अधिक कर दी है और इसके गंभीर प्रभाव जारी रहेंगे, वर्ल्ड मेट्रोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन की चेतावनी कि चालू कैलेंडर वर्ष में एल नीनो की प्रबल संभावना है, अगर एलनीनो प्रभावी हो जाता है तो भारत जैसे देश में अकाल की व्यापक संभावनाएं रहेंगी।
इन चेतावनियों के मद्देनजर रायपुर के वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने वन विभाग को पत्र लिख कर चेताया है कि जलवायु परिवर्तन से मानव-वन्यजीव द्वन्द बढ़ेंगे, इसके लिए तैयारियां की जानी चाहिए।
नितिन सिंघवी ने बताया है कि अब जलवायु संकट दिन प्रतिदिन गंभीर होता जाएगा। जलवायु परिवर्तन पर किए गए अध्ययनों के अनुसार विभिन्न जलवायु संबंधित घटनाओं का विपरीत प्रभाव वन्यजीवों पर भी पड़ेगा तथा मानव के साथ उनका द्वंद बढेगा। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया है कि हीटवेव और अकाल के कारण किस तरह के दुष्प्रभाव होंगे :
मानव हाथी द्वंद :
Habitat Loss, खंडित वन, जंगलों में पानी और चारे की कमी होने के कारण हाथी-मानव द्वंद बढ़ेगा। वैसे भी छत्तीसगढ़ मानव हाथी द्वंद से देश में सबसे जयादा प्रभावित है।
सांपो का घरों में घुसना बढ़ेगा :
बढ़ी हुई लंबे समय की गर्मी व सूखे में सांपों का आश्रय और पानी से हुई ठंडी जगह की तलाश में ग्रामीणों के घरों, बाड़ियों में घुसने की घटनाएं बढ़ने की पूरी संभावना रहेगी।
मानव-भालू द्वंद :
भालू, भारतीय वनों का Most Unpredictable वन्य प्राणी माना जाता है। दूसरे वन्य प्राणियों के समान सामान्यतः यह पानी में अपने को ठंडा नहीं करता। काले रंग का और घने बाल का होने के कारण, वन क्षेत्रों में बढ़ते तापमान और हीटवेव के कारण इस वन्य प्राणी पर जलवायु परिवर्तन सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ने की संभावना रहेगी। जिससे मानव-भालू द्वंद बढेगा।आम तौर पर गर्मी में महुआ के सीजन में मानव-भालू द्वंद बढ़ जाता है।
शाकाहारी जानवर और चारे की कमी
कम वर्षा के कारण जंगल में शाकाहारी जानवरों के लिए चारे की कमी होगी, जिसके कारण वे फसलों को चरने के लिए वन क्षेत्र से बाहर निकलेंगे। इसके विपरीत फसल कम होने से, जब ग्रामीणों के पशुधन (मवेशी) चरने के लिए जंगलो में ज्यादा छोड़े जाने लगेंगे, तब वनों में चारे की कमी और बढ़ जाएगी। समय के साथ पूरी संभावना रहेगी कि जलवायु परिवर्तन के कारण बीमारियां और नए वायरस भी पैदा होंगे। अगर शाकाहारी वन्यजीवों या ग्रामीणों के पशुधन में यह पैदा होते हैं तो शाकाहारी वन्य प्राणियों तथा ग्रामीणों के पशुधन को व्यापक नुकसान होगा।
वन्य प्राणियों का शिकार और वन क्षेत्र कम होना
वन्य प्राणी, पानी की खोज में वन्य क्षेत्र छोड़ बाहर निकलने मजबूर होंगे, इससे शिकार की घटनाएं भी बढ़ेगी और वन क्षेत्रों से बाहर निकल कर बिना जगत वाले कुएं में वन्य प्राणियों के गिरने की घटनाएं भी बढ़ेगी। हीटवेव और वनों में नमी कम होने के कारण आग लगने की घटनाएं ज्यादा होंगी, वन क्षेत्र कम होता जायेगा।
मानव-मगरमच्छ द्वन्द
जिन वॉटर बॉडीज में मगरमच्छ हैं, उनमें पानी सूखने और कम होने से मगरमच्छ वाटर बॉडी से बाहर निकलने लगेंगे और उनके साथ भी मानव का द्वंद और उनका पशुधन और वन्यजीवों पर आक्रमण बढ़ेगा। इसी तरह मांसाहारी वन्यजीवों से द्वन्दमांसाहारी वन्यजीवों का पशुधन और कई बार मानव पर आक्रमण बढेगा।
वन विभाग को यह पत्र लिखने वाले वन्य जीव प्रेमी नितिन सिंघवी ने बताया कि ये कुछ ही उदाहरण हैं। जलवायु परिवर्तन से कई वर्षों बाद अतिवर्षा भी होगी, जिससे वन्य जीवों के संबंध में अलग समस्याएं उत्पन्न होंगी। उन्होंने कहा कि वे यह नहीं कह रहे कि यह सब कल ही होगा, परंतु अवश्य होगा और वर्ष वार समस्याएं जटिल होती जाएंगी।
कुछ सुझाव प्रेषित करते हुए उन्होंने कहा कि हमें यह स्वीकार करना होगा कि वन्यजीवों के बिना जैव विविधता समाप्त हो जाएगी और बिना जैव विविधता के मानव प्रजाति। इसलिए हमें सह अस्तित्व को चुनना पड़ेगा।
सुझाव:
गर्मी और सूखे में अभी उपलब्ध कराये जा रहे पानी से ज्यादा मात्रा में ज्यादा जगहों पर पानी उपलब्ध करवाया जाये।
वन क्षेत्रों से लगी हुई वॉटर बॉडीज जहां पर गर्मी में वन्यप्राणी पानी पीने आते हैं, के आसपास ग्रामीणों को जाने से मना किया जावे ताकि वन्यजीव से द्वन्द न हो और संभावित शिकार पर नियंत्रण किया जावे। इसी प्रकार जिन वॉटर बॉडीज में मगरमच्छ है, वहां मानव गतिविधियां प्रतिबंधित की जावे।
आग वनों का सबसे बड़ा दुश्मन है। हीटवेव और गर्मी से आग लगने की घटनाएं बढ़ेंगी। आग की घटना सूचित करने के लिए मोबाइल नंबर प्रसारित किए जावे, ग्रामीणों में जागरूकता पैदा की जावे व नियंत्रण के उपाय बढ़ावे जावे।
मानव-तेंदुआ द्वंद को कम करने के लिए विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर सुझाए गए निवारक उपायों जैसे घर के आस-पास झाड़ियां इत्यादि का ना होना, महिलाओं और बच्चों का शाम का घर से बहार ना निकलना, शौचालय का उपयोग करना, व्यापक प्रकाश होना इत्यादि पर ज्यादा कार्य शीघ्रता से किया जाये।
सांपों से बचने के लिए ग्रामीणों को सलाह दी जाये की वे :
अ. जमीन पर नहीं सोकर पलंग/खटिया पर सोएं।
ब. घर के आसपास बाड़ी या पानी के स्थानों के आस-पास सफाई बरकरार रखें, जैसे गमलों को आपस में सटा कर न रखना।
स. Natural Repellents का उपयोग हेतु सलाह दी जाये, इस संबंध में विशेषज्ञों से राय ली जा सकती है।
जंगलों में वृक्षों की कटाई चाहे वह उम्र पूरी कर चुके हैं पूर्ण: रोक दी जाये, अब एक- एक वृक्ष महत्वपूर्ण हो गया है। वनों में हो रहे अवैध कब्जे को तत्काल रोका जावे तथा हो चुके अवैध कब्जों को तत्काल हटाया जावे। वन क्षेत्रों के आसपास बिना जगत वाले कुआं पर जगत बनवाकर जाली लगवाई जावे।
यह निर्धारित किया जावे कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य, वन्यजीव, जैव विविधता ज्यादा महत्वपूर्ण है, या वन अधिकार पट्टा बांटना?
मानव-वन्यजीव द्वंद चाहे वह मानव-हाथी द्वंद हो या कोई और द्वंद, सभी को कम करने के लिए ज्यादा कार्य शीघ्रता से किया जाये। राज्य के वन क्षेत्र में अलग-अलग वन्य जीवों पर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन कराना चालू किया जावे ताकि समय समय पर नए उचित कदम उठाये जा सकें।