CG लेखाजोखा: जानिए क्या कहती है CAG रिपोर्ट, कितना घाटा कितना मुनाफा Featured

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार के ढाई साल पूरा होने के बाद पहली बार वित्तीय हालत का आधिकारिक लेखा-जोखा आ गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) के तीन प्रतिवेदन विधानसभा के पटल पर रखे। वित्तीय लेखों की रिपोर्ट में CAG ने सरकार के वित्तीय प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। कहा गया है- एक साल में ही सरकार का राजस्व अधिशेष 9 हजार 608 करोड़ 61 लाख रुपए के राजस्व घाटे में बदल गया।

वित्तीय वर्ष 2019-20 के ऑडिट के आधार पर तैयार इस रिपोर्ट में बताया गया है, वर्ष 2018-19 में 683.76 करोड़ रुपये का राजस्व अधिशेष था। जो 2019-20 के दौरान 9 हजार 608 करोड़ 61 लाख रुपए के घाटे में बदल गया। यह फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट (FRBM) एक्ट के लक्ष्यों को हासिल नहीं कर पाया। FRBM कानून के मुताबिक सरकार को राजकोषीय घाटे को कम रखने के लिए एक लक्ष्य तय करना पड़ता है। सामान्यत: इसको प्रदेश के सकल घरेलू उत्पाद का 3.50 प्रतिशत तक निर्धारित किया गया है।

CAG की रिपोर्ट में बताया गया है, वर्ष 2019-20 के दौरान राज्य का राजकोषीय घाटा 17 हजार 969 करोड़ 55 लाख रुपए का था। यह GSDP के 5.46 प्रतिशत था जो निर्धारित लक्ष्य से 3.50 प्रतिशत से अधिक था। राज्य की पूंजीगत प्राप्तियां 2018-19 में 14 हजार 538 करोड़ 24 लाख रुपए से 5 हजार 310 करोड़ 90 लाख रुपए (36.53 प्रतिशत) बढ़कर 2019-20 में 19 हजार 849.14 करोड़ हो गई। इसका मुख्य कारण 11 हजार 680 करोड़ का बाजार ऋण था। इसकी वजह से सार्वजनिक ऋण प्राप्तियों में 5 हजार 217 करोड़ 43 लाख यानी करीब 36.30 प्रतिशत का इजाफा हुआ। यह सार्वजनिक ऋण का 58.84 प्रतिशत है।

केंद्रीय करों में हिस्सेदार घटने से कम हुआ राजस्व
CAG ने बताया है कि 2019-20 के दौरान राज्य सरकार को 63 हजार 868 करोड़ 70 लाख रुपए का राजस्व मिला। यह 2018-19 में मिले 65 हजार 94 करोड़ 93 लाख रुपए के राजस्व से 1 हजार 266 करोड़ 23 लाख रुपए यानी 1.88 प्रतिशत कम है। CAG का निष्कर्ष है कि इसका मुख्य कारण केंद्रीय करों और शुल्कों में राज्यों की हिस्सेदारी कम होना है। केंद्रीय करों में हिस्सेदारी कम होने से से 3 हजार 252 करोड़ 85 लाख रुपए राजस्व की कमी आई है जो 13.87 प्रतिशत है।

वेतन-भत्तों पर सरकार का खर्च बढ़ा है
CAG के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2019-20के दौरान सरकार का राजस्व व्यय यानी वेतन-भत्ते और सब्सिडी आदि पर खर्च बढ़ा है। 2018-19 की तुलना में 2019-20 के दौरान 9 हजार 66 करोड़ 14 लाख रुपए का इजाफा हुआ है। वेतन और मजदूरी मद में 3 हजार 956 करोड़, पेंशन में 1 हजार 209 करोड़, ब्याज भुगतान में 1 हजार 318 करोड़ और सब्सिडी में 3 हजार 160 करोड़ का व्यय बढ़ा है।

लगातार दो वर्षों से पूंजीगत व्यय कम
CAG ने पाया है कि राज्य के पूंजीगत व्यय यानी निर्माण कार्यों आदि पर व्यय में पिछले दो वर्षों के दौरान उल्लेखनीय कमी दिखी है। 2018-19 में यह 1 हजार 98 करोड़ और 2019-20 में 337 करोड़ की कमी दिखी है।

सरकारी निगमों-कंपनियों में बड़ा निवेश
रिपोर्ट में बताया गया, सरकार ने 31 मार्च 2020 तक 10 सांविधिक निगमों, 28 सरकारी कंपनियों, 22 संयुक्त स्टॉक कंपनियों, दो ग्रामीण बैंकों और 1 हजार 523 सहकारी समितियों को 7 हजार 265 करोड़ 79 लाख रुपए का निवेश किया है। इस निवेश पर सरकार 0.03 प्रतिशत रिटर्न मिला है। यह तब है जब सरकारी उधार पर औसत ब्याज दर 6.83 प्रतिशत है। वहीं लोक निर्माण विभाग और जल संसाधन विभाग की 145 अपूर्ण परियोजनाओं (अनुमानित लागत 4,352.05 करोड़) में से 51 में 2 हजार 496 करोड़ 70 लाख रुपया अधिक खर्च हुआ है।

 

souce: Google, Dainik bhaskhar 

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Last modified on Saturday, 31 July 2021 13:30

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