किसान करने लगे हैं ब्रम्हास्त्र और जीवामृत का उपयोग,गोठानों में अब तक 53231 लीटर गोमूत्र की खरीदी Featured

बोलता गांव डेस्क।।IMG 20221006 142011 742

जैविक खेती के लाभ को देखते हुए छत्तीसगढ़ के किसान इसे तेजी अपनाने लगे हैं। गौठानों में गोबर से निर्मित वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट के उपयोग के साथ-साथ अब किसान रासायनिक पेस्टिसाईड के स्थान पर गोमूत्र से तैयार जैविक कीटनाशक ब्रम्हास्त्र और फसल वृद्धिवर्धक जीवामृत का उपयोग करने लगे हैं। यहां यह उल्लेखनीय है कि राज्य में छत्तीसगढ़ शासन द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।

 

रासायनिक उर्वरक एवं पेस्टिसाईड के चलते कास्त की बढ़ती लागत के साथ-साथ इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए जैविक खेती की ओर रूझान बढ़ा है। जैविक खाद और जैविक कीटनाशक की सहज ही उपलब्धता भी इसमें मददगार साबित हो रही है। गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के अंतर्गत गौठानों में दो रूपए किलो में गोबर खरीदी के साथ-साथ अब चार रूपए लीटर में गोमूत्र की खरीदी की जा रही है।

 

गोबर से जैविक खाद तथा गोमूत्र से जैविक कीटनाशक का उत्पादन गौठानों से जुड़ी महिला स्व-सहायता समूहों द्वारा किया जा रहा है। बीते 28 जुलाई 2022 हरेली पर्व से शुरू हुई गोमूत्र खरीदी के तहत अब तक 53231 लीटर गोमूत्र खरीदा जा चुका है, जिसके एवज में गोमूत्र विक्रेता पशुपालकों को 2.13 लाख रूपए से अधिक की राशि का भुगतान भी गौठान समितियों द्वारा किया गया है।

 

गोमूत्र से कीट नियंत्रण ब्रम्हास्त्र और वद्धिवर्धक जीवामृत तैयार किया जा रहा है। महिला समूहों द्वारा अब तक गोमूत्र से तैयार 17784 लीटर ब्रम्हास्त्र में से 13609 लीटर ब्रम्हास्त्र किसानों ने 6.62 लाख रूपए तथा गोमूत्र से निर्मित 13156 लीटर जीवामृत में से 8919 लीटर किसानों ने 3.43 लाख रूपए में क्रय कर खेती में उपयोग किया है। गोमूत्र से जैविक कीटनाशक गौठानों में लगातार तैयार किया जा रहा है, ताकि किसानों को इसकी सहजता से आपूर्ति की जा सके।

 

 

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

RO no 13028/15
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "

MP info RSS Feed