ख़बर ज़रा हटके; यौन शोषण के मामलों में बढ़ोतरी, कई बच्चियां हुईं प्रेग्नेंट, सरकार चिंतित Featured

बोलता गांव डेस्क।।IMG 20220528 151645

दक्षिण अफ्रीकी देश जिम्बाब्वे की सर्वोच्च अदालत ने लड़कियों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है. इस अफ्रीकी देश में महिलाओं के शोषण और कम उम्र में ही गर्भवती हो जाने के बाद से स्कूल छोड़ने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

 

इसे देखते हुए देश की अदालत ने लड़कियों के सेक्स की सहमति की उम्र को 16 से बढ़ाकर 18 साल करने का आदेश दिया है. देश के मानवाधिकार समूहों ने अदालत के इस फैसले का स्वागत किया है. अदालत के फैसले के अनुसार, देश के न्याय मंत्री और संसद के पास 'संविधान के प्रावधानों के अनुसार सभी बच्चों को यौन शोषण से बचाने वाला कानून बनाने' के लिए 12 महीने का समय होगा.

 

देश की सर्वोच्च अदालत में लड़कियों के कंसेंट से जुड़ा मामला दो महिलाओं दे द्वारा लाया गया था जिनकी शादी बेहद कम उम्र में ही कर दी गई थी. लोग फैसले का इस उम्मीद से स्वागत कर रहे हैं कि इस कानून से कम उम्र की लड़कियों के साथ यौन संबंध बनाने से लेकर किशोर गर्भधारण और बाल विवाह के मामलों को धीमा करने में मदद मिल सकती है. अधिकारियों और मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि COVID-19 के बाद से इस तरह के मामलों में तेजी आई है. इस दौरान स्कूल बंद थे और गरीबी बढ़ती गई जिस कारण लड़कियों के माता-पिता ने बेहद कम उम्र में उनकी शादियां कर दीं.

 

महिलाओं की वकीलत तेंदई बिटी ने अदालत के फैसले पर एसोसिएटेड प्रेस से बात करते हुए कहा, 'ये जरूरी है कि हम बच्चों, विशेषकर लड़कियों की रक्षा करें. अदालत का ये फैसला बच्चों के शोषण को पूरी तरह तो नहीं रोक पाएगा, लेकिन ये उसे कम जरूर करेगा.' लड़कियों के अधिकारों के लिए अभियान चलाने वाले समूह कैट्सवे सिस्टाहुड की निदेशक टैलेंट जुमो ने अदालत के फैसले को मील का पत्थर बताया. वो कहती हैं, 'यह फैसला 18 साल से कम उम्र की लड़कियों को सुरक्षा की गारंटी देता है. पहले हमारे देश के बूढ़े लोग कम उम्र की लड़कियों का फायदा उठाते थे. बच्चों का शोषण करने वालों के खिलाफ ये एक अच्छा फैसला है.

 

जिम्बाब्वे में सेक्स के लिए सहमति की उम्र लंबे समय से विवादों में रही है. उम्र बढ़ाने का बचाव करने वालों का तर्क है कि सहमति के लिए 16 साल की उम्र बहुत कम है और इससे कम उम्र की लड़कियों का शोषण होता है. हालांकि, जिम्बाब्वे के ही न्याय मंत्री जियांबी जियांबी सेक्स के लिए सहमति की उम्र बढ़ाने के पक्ष में नहीं रहे हैं. पिछले साल के अंत में उन्होंने संसद में कहा था कि आजकल के ज्यादातर बच्चे कम उम्र में ही परिवक्व हो जाते हैं और वो यौन रूप से भी जल्दी सक्रिय हो रहे हैं. उनका कहना था कि सहमति की उम्र को बढ़ाकर 18 करने का मतलब है कि अगर 18 साल से कम उम्र के लड़के-लड़का आपस में सेक्स करते हैं तो उन्हें अपराधी करार दिया जाएगा और उनके नाम एक गैर-जरूरी अपराध दर्ज हो जाएगा.

 

जिम्बाब्वे में बाल विवाह के मामलों को देखते हुए अदालत ने साल 2016 में ही शादी की उम्र को 16 साल से बढ़ाकर 18 साल कर दिया था. नए मामले में अदालत के सामने महिलाओं की वकील ने तर्क दिया कि शादी की उम्र को तो 16 से 18 कर दिया गया लेकिन सेक्स के लिए सहमति की उम्र को 16 ही रहने दिया गया जिसने कम उम्र की लड़कियों के साथ पुरुषों को दुर्व्यवहार की अनुमति दी. ये असंवैधानिक है.

अदालत में उन्होंने कहा, 'पुरुषों की तो मौज है. अगर सेक्स के लिए कंसेंट की उम्र को नहीं बढ़ाया गया तो कई मामलों में पुरुष कह सकते हैं कि मैं तुम्हारे साथ सोया, मैं तुमसे शादी भी करना चाहता हूं लेकिन कानून कहता है कि मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता, हां, मैं तुम्हारे साथ सेक्स कर सकता हूं.' विशेषज्ञों का कहना है कि नए कानून में बच्चों को अपराधी होने से बचाने के लिए एक रोमियो एंड जुलियट प्रावधान भी होना चाहिए. यानि जो लड़का-लड़की 18 साल से पहले आपसी सहमति से यौन-संबंध बनाते हैं, उन्हें अपराधी न माना जाए.

 

 

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