कर्नाटक सरकार ने सरकारी नौकरियों में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों को एक फीसदी रिजर्वेशन देने का फैसला लिया है. यह रिजर्वेशन हर कैटेगरी में दिया जाएगा. लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य सरकार ने कर्नाटक हाई कोर्ट को बताया है कि इस संबध में कर्नाटक सिविल सर्विसेज रूल्स, 1977 में बदलाव के लिए जरूरी कदम उठाए जा चुके हैं. सरकार ने बताया कि अगले कुछ दिनों में इस बारे में नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा.
सरकार ने कोर्ट को बताया कि नियमों के बदलाव के बाद सरकारी नौकरियों के एप्लिकेशन फॉर्म में लिंग वाले कॉलम में ‘पुरुष’ और ‘स्त्री’ के साथ ‘अन्य’ का भी ऑप्शन दिया जाएगा. यह ऑप्शन प्रत्येक ग्रुप रिक्रूटमेंट पर लागू होगा. साथ ही साथ रिक्रूटमेंट करने वाली अथॉरिटी किसी भी ट्रांसजेंडर अभ्यर्थी के साथ भेदभाव नहीं करेगी. सरकार ने कोर्ट को यह भी बताया कि अगर किसी कैटेगरी में नियुक्ति के लिए एक फीसदी योग्य ट्रांसजेंडर मौजूद नहीं हैं, तो इस स्थिति में बचे हुए पदों को अन्य पुरुषों और महिलाओं के द्वारा भरा जाएगा.
संगमा नाम के संगठन ने डाली थी याचिका
कर्नाटक सरकार ने कोर्ट को एक याचिका के संबंध में यह सारे जवाब दिए हैं. याचिका संगमा नाम के संगठन की तरफ से डाली गई थी. यह संगठन LGBTQ समुदाय, सेक्स वर्कर्स और HIV संक्रमित लोगों के लिए काम करने की बात कहता है. संगठन ने अपनी याचिका में नालसा बनाम भारत सरकार के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया था. इस फैसले का हवाला देते हुए संगठन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट बहुत पहले ही ‘थर्ड जेंडर’ के लोगों के अधिकारों को पहचान दे चुका है, उनके पास संवैधानिक और मूल अधिकार हैं.
दरअसल, यह याचिका कर्नाटक में स्पेशल रिजर्व कॉन्सटेबल फोर्स की 2,420 और बैंड्समेन की 252 सीट पर भर्ती की नोटिफिकेशन निकलने के बाद डाली गई. इस नोटिफिकेशन के पास संगमा ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका डाली कि राज्य सरकार ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए अलग से कैटेगरी बनाए. साथ ही साथ इन भर्तियों पर नियुक्ति के लिए इस समुदाय के लिए रिजर्वेशन की योजना भी पेश करे.