नवा छत्तीसगढ़ के 36 माह: रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में संवर रहा गौठान Featured

बोलता गांव डेस्क।।IMG 20220414 174015

ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने के लिए गांवों में बने गौठान अब परिवारों की आजीविका का मुख्य साधन बनने लगे हैं। अहिरन नदी के किनारे, लंबे-लंबे साल के खूबसूरत वृक्षों के बीच कोरबा जिले के पोड़ी-उपरोड़ा विकासखण्ड के महोरा गांव का गौठान रूरल इंडस्ट्रियल पार्क के रूप में संवर रहा है।

 

इस गौठान में आठ महिला स्वसहायता समूहों की सदस्य 13 विभिन्न प्रकार की जीविकोपार्जन गतिविधियों में लगीं हैं और अच्छा लाभ कमा रहीं हैं। भांवर ग्राम पंचायत के आश्रित ग्राम महोरा में स्थापित आदर्श गौठान की ख्याति सुनकर स्वयं मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल भी इस गौठान में आ चुके हैं और समूह की महिलाओं की हौसला अफजाई कर चुके हैं।

 

महोरा गौठान में वर्मी खाद उत्पादन, केंचुआ उत्पादन, अण्डा उत्पादन, बकरी पालन, अगरबत्ती निर्माण, दोना-पत्तल निर्माण, मिनी राईस मिल, मछली पालन, मशरूम उत्पादन से लेकर गोबर के दीया, गमला, मूर्तियां, गोबर काष्ठ बनाने जैसी 13 विभिन्न आजीविका गतिविधियां की जा रहीं हैं। यह गौठान आसपास के 121 परिवारों की आजीविका का मुख्य केन्द्र बन गया है। इस वर्ष गौठान की गतिविधियों से लगभग साढ़े सात लाख रूपए की आमदनी हुई है।

 

गौठान के हरेकृष्णा स्वसहायता समूह का हसदेव अमृत ब्राण्ड जैविक खाद गुणवत्ता के लिए पूरे छत्तीसगढ़ में सबसे पहले सीजी सर्ट सोसायटी सर्टिफिकेट प्राप्त करने वाला खाद है। इस खाद का उपयोग वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण के लिए और उद्यानिकी विभाग द्वारा फसलों के लिए किया जा रहा है।

 

समूह की कांति देवी कॅवर कहती है कि यह तो सोने पर सुहागा है कि हमें बिना लागत के जैविक खाद से दस रूपये प्रति किलोग्राम की दर से कमाई हो जाती है। खपत के लिये गॉव मंे ही जरूरत होती है, साथ ही शासकीय विभागो द्वारा मॉग जारी की जाती है। इस तरह बनी हुई खाद से कचरा प्रबंधन भी होता है और कम समय मे अच्छी कमाई भी हो जाती है।

 

हरे कृष्णा स्व-सहायता समूह ने नीम करंज आदि के तेल, अवशेष और अर्क से निमास्त्र, ब्रम्हास्त्र, अग्नेयास्त्र, फिनाइल, गौमूत्र से निर्मित जैविक कीटनाशक जैसे जैविक उत्पाद भी बनाए हैं। जिसका उपयोग खेती किसानी से लेकर घरों तक में किया जा रहा है।

 

पिछले तीन महीनों में 878 क्ंिवटल खाद बेचकर एक लाख 75 हजार से अधिक रूपए गौठान की महिलाओं ने कमाए हैं। गौठान में कार्यरत चरवाहे ने गोधन न्याय योजना के तहत लगभग 50 क्विंटल गोबर बेचकर मिली राशि से बकरी पालन का काम शुरू किया है।

 

महोरा में सब्जी उगाने के लिए गौठान से लगी भूमि पर ही बाड़ियां बनाई गई हैं। दो स्वसहायता समूहों ने पिछले सीजन में सब्जी उत्पादन से ही लगभग 74 हजार रूपए कमाए हैं। इसके साथ ही मशरूम उत्पादन, मछली पालन और मिनी राईस मिल से भी महिला समूह अच्छी आमदनी ले रहे हैं।

 

महोरा गौठान वास्तव में एक छोटी ग्रामीण औद्योगिक इकाई के रूप में तेजी से आसपास के इलाकों में अपनी पहचान बना रहा है। अन्य जिलों से भी गौठान समितियों के सदस्य कोरबा के इस गौठान का अवलोकन करने, इसकी गतिविधियों को सीखने आते हैं। स्थानीय स्तर पर ही उपलब्ध संसाधनो से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का छत्तीसगढ़ सरकार का मॉडल महोरा गौठान में फलीभूत होता दिखाई दे रहा है।

Rate this item
(0 votes)

Leave a comment

Make sure you enter all the required information, indicated by an asterisk (*). HTML code is not allowed.

RO no 13028/15
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "
RO no 13028/15 "

MP info RSS Feed