राजस्थान में भीषण सड़क हादसा, सीएनजी से भरा ट्रक फटा, 20 से अधिक गाड़ियों में लगी आग, 5 लोगों की मौत-VIDEO Featured

यह घटना आज से करीब 20 साल पुरानी है. 4 फवरी 2004 को राधे श्‍याम नामक शख्‍स ने पुलिस को शिकायत देकर बताया था कि उनका आठ साल का बच्‍चा 3 फवरी 2004 से मिसिंग है. राधेश्‍याम की शिकायत पर नरेला थाना पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर बच्‍चे की तलाश शुरू कर दी. शिकायत से ठीक एक दिन बाद राधेश्‍याम को एक फोन कॉल आई और फोन करने वाले ने बच्‍चे की सलामती के एवज में 2 लाख रुपए की फिरौती मांग की.

पुलिस ने कॉल ट्रेस की तो पता चला यह फोन मुजफ्फरनगर से आया है. इसी बीच, राधेश्‍याम ने अपने बच्‍चे के किडनैप के पीछे अपने करीबी रिश्‍तेदार धरमवीर और उसके भाई बेघराज पर शक जाहिए किया. इसके बाद, पुलिस ने छापेमारी कर आरोपी बेघराज और सह-आरोपी किरण को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में दोनों आरोपियों ने अपराध में अपनी संलिप्‍तता स्‍वीकार कर ली. दोनों ने बताया कि उन्‍होंने बच्‍चे की हत्‍या कर गन्‍ने के खेल में दफना दिया है.

 

इन दोनों की निशानदेही पर पुलिस ने नकेवल बच्‍चे का शव गन्‍ने के खेत से बरामद कर लिया, बल्कि हत्‍या में प्रयुक्‍त चाकू भी बरामद कर लिया. इस केस में कोर्ट से आरोपी बेघराज और किरण को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. वहीं फरवरी 2012 में आरोपी बेघराज को हाईकोर्ट के आदेश पर पैरोल पर रिहा किया था. पैरोल की शर्त के अनुसार, बेघराज को 19 फरवरी 2012 को सरेंडर करना था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और फरार हो गया.

इस घटना से करीब 12 साल बाद दिल्‍ली पुलिस के क्राइम ब्रांच की हाथों इस केस की फाइल आ गई. जिसके बाद, इस बेरहम हत्‍यारे को एक बार फिर सालाखों के पीछे भेजने की मुहिम शुरू कर दी गई. बेघराज की तलाश के लिए क्राइम ब्रांच की टीम ने पुलिस रिकार्ड, जेल रिकार्ड और एससीआरबी में मौजूद बेघराज संबंधित जानकारियों को खंगाल डाला. क्राइम ब्रांच की मेहनत रंग लाई और बेघराज के ठिकाने का क्‍लू उन्‍हें मिल गया.

क्राइम ब्रांच की टीम ने मुजफ्फरनगर के एक गांव में छापेमारी कर बेघराज को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद, शुरू हुई पूछताछ में पता चला कि फरार होने के बाद वह जालंधर (पंजाब) में छिपा रहा. वह जालंधर में चार साल तक मजदूरी कर अपना पेट भरता रहा. इसके बाद, मेरठ के परीक्षितगढ़ में आकर छिप गया. वह चार साल तक परीक्षितगढ़ में छिपा रहा. इसके बाद, वह मध्‍य प्रदेश चला गया, जहां वह अगल अगल इलाकों में तीन साल तक छिपा रहा.

पूछताछ में उसने खुलासा किया कि वह अपने रिश्‍तेदारों की मदद से करीब 12 साल तक पुलिस की गिरफ्त से बचने के लिए कामयाब रहा. इसके बाद वह अपने गांव से 40 किलोमीटर दूर स्थिति एक गांव में दूसरी बीबी के साथ रहने लगा. यहां पर उसने अपना नाम बेघराज से बदलकर अनिल कुमार रख लिया.

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Last modified on Friday, 20 December 2024 10:36

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