कभी Nokia नाम सुनते ही लोगों के चेहरे खिल उठते थे. Nokia के फोन हर किसी के हाथ में होते थे. लेकिन आज अगर आप किसी बच्चे से Nokia के बारे में पूछेंगे तो उसे शायद पता भी ना हो. यह Nokia के पतन की कहानी बयान करता है. पुराने लोग याद करते हैं कि Nokia कितना बड़ा ब्रांड था. एक समय था जब Nokia के फोन दुनिया भर में 30% बाजार हिस्सा रखते थे. लेकिन धीरे-धीरे कमजोर होती गई. ऐसा क्यों हुआ? Nokia ने क्या गलती की? क्यों वो सफल नहीं हो पाया? आइए जानते हैं...
Nokia ने अपनी गलती की वजह से अपना मुकाम खो दिया. जब Apple और Samsung स्मार्टफोन बना रहे थे, तब Nokia ने पुराने तरीके के कीबोर्ड वाले फोन बनाना जारी रखा. उन्हें लगता था कि लोग टचस्क्रीन फोन नहीं खरीदेंगे. बाद में उन्होंने Symbian नाम का अपना ऑपरेटिंग सिस्टम बनाया, लेकिन वह भी सफल नहीं हुआ. यह ऑपरेटिंग सिस्टम Android और iOS जितना अच्छा नहीं था. Nokia ने बाजार में बदलाव को समझने में देरी कर दी. जब तक उन्होंने समझा, तब तक Apple और Samsung बहुत आगे निकल चुके थे.
Nokia ने एक और बड़ी गलती की. उन्हें लगता था कि सिर्फ उनके नाम की वजह से लोग उनके फोन खरीदेंगे, भले ही वो पुराने तरीके के हों. लेकिन लोगों को Android और iOS वाले फोन अच्छे लगने लगे थे, और वो पुराने Symbian OS वाले फोन नहीं खरीदना चाहते थे. Nokia ने अपने फोन बनाने में कई गलतियां कीं, जिसकी वजह से लोग सस्ते और अच्छे Android फोन खरीदने लगे. Nokia ने सोचा था कि उनका ब्रांड नाम ही काफी है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
Nokia की एक बड़ी गलती यह थी कि उसने अपने ब्रांड का सही इस्तेमाल नहीं किया. Apple और Samsung ने अपने iPhone और Galaxy सीरीज़ के साथ अपने ब्रांड को बहुत मज़बूत बनाया. लेकिन Nokia ऐसा नहीं कर पाया. Nokia ने लोगों का भरोसा भी खो दिया क्योंकि उनके फोन बाज़ार में सही तरीके से नहीं पहुंच पा रहे थे. इस वजह से लोग Apple और Samsung के फोन खरीदने लगे.
Nokia ने बहुत जल्दी-जल्दी अपने CEO बदल दिए. पांच साल से भी कम समय में Nokia ने दो बार अपने CEO बदले. ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि Nokia ने अपने काम करने का तरीका बदल दिया था, जिससे कई लोग खुश नहीं थे. इतने सारे बदलावों की वजह से कंपनी में अस्थिरता आ गई, और कर्मचारियों को नए सीईओ के साथ काम करने में दिक्कत हुई.