देश में कई राज्यों ने COVID-19 के खिलाफ टीके लगाए जा रहे हैं , राज्य टीकाकरण की रफ़्तार को भी बढाना चाहते है, जो कि संक्रमण की दूसरी लहर के कारण जरुरी भी है. देश में अस्पताल और मुर्दाघर बह गए हैं,परिवार तेजी से दुर्लभ दवाओं और ऑक्सीजन के लिए हाथापाई करते दिख रहे हैं।
पूरा देश डर के माहौल में जी रहा है. लोगों के गम को कम किया जाना मुश्किल हो गया
भारत टीकों का दुनिया में सबसे बड़े उत्पादक होने के बावजूद,भारत के पास अब खुद के लिए पर्याप्त टीका नहीं है 1 मई से टीकाकरण अभियान को फैलाव की योजना थी पर टीकाकरण फैलाव करने की योजना कमजोर होती दिख रही है ।
देश के 1.4 बिलियन लोगों में से केवल 9% को ही टीका की खुराक मिली है।
राज्य लगातार टीको की मांग कर रहें है अभी छत्तीसगढ़ ने ही 50 लाख डोज की मग की थी जिसमें से सिर्फ 3 लाख डोज ही छत्तीसगढ़ को दिए गये , आर्थिक राजधानी मुंबई में टीकाकरण केंद्र तीन दिनों से बंद थे,जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने नागरिकों को शनिवार को टीकाकरण के लिए नहीं जाने के लिए कहा था क्योंकि खुराक अभी तक नहीं आई थी।
कर्नाटक राज्य, टेक हब बेंगलुरु, वयस्कों के लिए अपना नया टीकाकरण अभियान स्थगित कर दिया जो शनिवार को शुरू होना था।
भारत को विदेशो की तरफ देखना पड़ रहा है
कच्चे माल की कमी है जो की विदेशो आता है , कई देशों ने तो कच्चा माल देने से भी इंकार कर दिया
भारत अंतर्राष्ट्रीय सहायता की ओर बढ गया है
ऑक्सीजन सिलेंडर, रेगुलेटर, रैपिड डायग्नोस्टिक किट, मास्क और पल्स ऑक्सीमीटर के साथ के लिए भी विदेशो से सहायता लेने पड़ रही है , ब्रिटेन, आयरलैंड और रोमानिया ने भी मदद भेजी है और रूस का स्पुतनिक वी वैक्सीन का पहला बैच शनिवार को आ गयी है ।
कुछ हिस्सों में दवाएं कम पड़ने लगी हैं ।लोग डर से अनावश्यक रूप से दवाओं की जमाखोरी कर रहे हैं,
source: reuters