लाल आतंक से मुक्ति :दंतेवाड़ा के 15 गांव होंगे नक्सलवाद से आजाद, स्वतंत्रता दिवस पर की जाएगी घोषणा Featured

देश में पहली बार दंतेवाड़ा जिले में 15 गांवों के नक्सलमुक्त होने की घोषणा होगी। ये घोषणा 15 अगस्त के खास मौके पर होगी और इस दिन ये बताया जाएगा कि किस तरह इन गांवों के ग्रामीणों को नक्सलवाद से आजादी मिल गई है। इसके पहले पुलिस विभाग की टीम उन गांवों तक पहुंचकर सर्वे करेगी। पुलिस ने इसके लिए बिंदु तैयार कर बाकी तैयारी शुरू कर दी है।

 

दरअसल, ये छत्तीसगढ़  में पहली बार ही होगा कि किसी जिले की पुलिस गांवों को नक्सलमुक्त करने के बाद उसकी आधिकारिक घोषणा बेहद खास मौके पर करेगी। खास बात ये है कि सिर्फ पुलिस ही यह तय नहीं करेगी कि वे गांव नक्सलियों के चंगुल से आजाद हुए हैं, बल्कि इसके लिए वहां के ग्रामीण भी बदलाव का बंद लिफाफे में फीडबैक देंगे। ऐसे चयनित 20 से ज्यादा गांवों में फिलहाल सर्वे होगा और 15 गांवों की फाइनल सूची बनेगी। एसपी डॉ अभिषेक पल्लव ने बताया कि दंतेवाड़ा जिले के नक्सलमुक्त गांवों की घोषणा 15 अगस्त को होगी। इस दिन हम उन गांवों की घोषणा करेंगे जो सालभर के अंदर नक्सलियों से आजाद हो गए हैं।

 

जिले में 2 साल में 8 जगह कैंप खुले, इसका फायदा
दरअसल जिले में 2 साल के अंदर 8 जगह सुरक्षा बलों के कैंप खुले हैं। जिस जगह कैंप खुले हैं वहां के आसपास के गांव में नक्सलियों की पकड़ कमजोर हुई है। ऐसे में माना जा रहा है पहले चरण में कैंपों के आसपास के गांवों को नक्सलमुक्त गांव घोषित किया जा सकता है। इसके अलावा गांवों की स्थिति के अनुसार रेड का ऑरेंज व ग्रीन जोन में बदलाव हो सकता है।

 

कटेकल्याण के गांवों में ज्यादा फोकस
कटेकल्याण क्षेत्र में चिकपाल, तुमकपाल, टेटम, बड़े गुडरा, कुआकोंडा में पोटाली, समेली, नदी किनारे बसे गांव छिंदनार, बड़े करका, बोदली गांवों में सुरक्षा बलों का हालही में कैम्प खुला है। विकास के लिए इनाम का प्रस्ताव : एसपी ने बताया कि अब नक्सल प्रभावित गांवों की पहचान नक्सलमुक्त गांव के नाम से भी होगी। प्रशासन के समक्ष प्रस्ताव भी रखेंगे कि ऐसे गांवों को भी विकास के लिए इनाम की राशि दी जाए। बिंदु निर्धारित कर सर्वे कराया जा रहा है। जिले के 15 से 20 गांव नक्सलियों से आजाद हुए हैं। फाइनल सूची 15 अगस्त से पहले तैयार हो जाएगी।

 

सर्वे के लिए ये बिंदु तय, गांवों में ये हालात हुए तो होगा नक्सलमुक्त
- सालभर के अंदर एक भी नक्सल घटना गांव में नहीं हुई है।
- इस गांव के नक्सलियों ने या तो सरेंडर कर लिया है या गिरफ्तारी हुई है। इसमें बड़े कैडर पर मुख्य फोकस।
- नक्सल भय से अपना गांव छोड़कर बाहर रहने वाले पंच, सरपंच सहित अन्य जनप्रतिनिधि अब अपने ही गांव में वापस रहने लगे हैं।
- सालभर में प्रशासन के अफसर-कर्मी भी बेखौफ वहां पहुंच रहे हों।
- बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं पहुंचने लगी हों।
- सालभर से उस गांव में नक्सलियों की बैठक ही न हुई हो।
- गांव के मैदानी कर्मचारियों से भी बंद लिफाफे में फीडबैक लिया जाएगा। जिसमें वे ये बताएंगे कि गांव की पहले क्या स्थिति थी और सालभर में क्या बदला।
नाम की गोपनीयता रखी जाएगी।

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