Chhattisgarh Rural Vaccination: सरपंच ने भ्रांतियों को मिटाने के लिए वैक्सीन चौपाल में लगवाई, 50 से अधिक गांवों में 100 फीसदी टीकाकरण Featured

देश के बाकी शहरों की तरह छत्तीसगढ़ में भी टीकाकरण अभियान शुरू होते ही अजीबोगरीब भ्रांतियां फैल गईं। कहीं हल्ला उड़ा कि कोरोना टीका लगाते ही मौत हो रही है। कहीं लोगों को भ्रम हो गया कि युवती कभी मां नहीं बन सकेगी।

ऐसा ही भ्रम युवाओं के बीच फैला कि टीका लगाने वाले युवा पिता नहीं बन सकेंगे। इन अफवाहों के बीच गांव के पंच-सरपंच सामने आए। कुछ युवाओं की टोली भी उनके साथ हुई। पहले उन्होंने खुद टीका लगवाया फिर गांव वालों को प्रेरित किया।

रायपुर - बंगोली गांव में टारगेट से सवा गुना लगे टीके।

राजधानी के आउटर यानी बमुश्किल 30 किमी दूर 2020 की आबादी वाला गांव बंगोली...चार माह पहले जब टीकाकरण शुरू हुआ, आम ग्रामीण इलाकों की तरह यहां भी अफवाहों ने जोर पकड़ लिया कि टीके से बुखार आता है, बीमारी फैल सकती है, विकलांग भी हो सकते हैं वगैरह। स्वास्थ्य अमला घरों में पहुंचा तो हर गांव की तरह यहां भी कहीं-कहीं अपमानित हुआ।

कोई आगे नहीं आया, तब गांव के हेल्थ वर्कर और मितानिनों ने टीके लगवाए। फिर सरपंच-पंच भी आगे आए। यही टर्निंग प्वाइंट था, क्योंकि जब इन लोगों को टीका लगाने के बाद कुछ नहीं हुआ तो गांव में चर्चा शुरू हुई और एक-एक कर लोग आगे आने लगे।

आज हालात ये हैं कि बंगोली ही नहीं, बल्कि आसपास से कई गांवों ने टीकाकरण में शहरों के रिकार्ड धराशायी कर दिए हैं। सिर्फ बंगोली में 45 प्लस के लिए जितने टीकाकरण का लक्ष्य था, उससे 126 फीसदी ज्यादा लोगों ने टीके लगवा लिए हैं। नौजवानों ने भी भारी उत्साह दिखाया है। 18 प्लस वर्ग के युवाओं ने लक्ष्य के मुकाबले 110 प्रतिशत वैक्सीनेशन करवा लिया है।

। दरअसल इस गांव ही नहीं, आसपास के गांवों में जितने लोगों ने टीके लगवाए, दो-तीन को छोड़कर किसी को न बुखार आया और न ही इफेक्ट, जिनकी अफवाहें थीं।

बिलासपुर - जागरूकता से वैक्सीनेशन में कुली नंबर-1

बिलासपुर मस्तूरी का कुली गांव अपने जिले के वैक्सीनेशन में नंबर-1 बन गया है। हालांकि यहां जब टीकाकरण शुरू हुआ और लोग जागरूक करने निकले तो उन्हें गालियां और अपशब्द सुनने को मिलते थे, लेकिन टीम ने हार नहीं मानी। 1872 आबादी वाले गांव में 904 पात्र लोगों को वैक्सीन लग चुकी है।

जबकि गांव की 19 महिलाएं गर्भवती हैं तथा 16 महिलाएं शिशुवती हैं। 194 लोग गांव से बाहर हैं। इस वजह से उन्हें टीके नहीं लगे। ग्राम कुली में शत प्रतिशत वैक्सीनेशन के लिए पंच, सरपंच, महिला समूह, मितानिन,आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के अलावा युवा संगठन से जुड़े सदस्यों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी है। 100% विकलांग लक्ष्मी सिंह ठाकुर, धनेश्वरी ठाकुर और मोहन रजक ने पहले खुद टीका लगवाया फिर सभी को जागरूक किया

दुर्ग - तर्रा बना मिसाल, यहीं से दूसरे गांव वालों ने सीख ली

दुर्ग जिले के पाटन ब्लॉक का गांव तर्रा बड़ी मिसाल बन गया है। गांव का हर 18 प्लस वैक्सीन लगवा चुका है। कोरोना की दूसरी लहर की पीक के दौरान 9 लोगों की मौत ने गांव वालों को झकझोर कर रख दिया। उसी समय ग्राम पंचायत ने यह प्रण किया कि यहां के किसी परिवार में अब कोरोना नहीं फैलने देंगे।

हालांकि टीके की भ्रांतियां ऐसी फैली कि उसे दूर करने के लिए सरपंच योगेश चंद्राकर व पंच को मोर्चा संभालना पड़ा। इस गांव में 18 प्लस वाले 1337 लोग हैं, जिनमें से 1319 लोग टीका लगवा चुके हैं। 18 महिलाएं गर्भवती हैं। सरपंच चंद्राकर ने भ्रांतियों को मिटाने पहली वैक्सीन चौपाल में लगवाई।

उसके बाद भी ऐसा डर फैला था कि टीके लगवाने से ही ज्यादातर लोग बीमार पड़ रहे हैं और उनकी मौत तक हो रही है। सरपंच ने इसे दूर करने के लिए रोज मुनादी करवाई। जिन लोगों को टीका लगा था उन्हें साथ लेकर लोगों के घर-घर गए और यह

 

source: dainik bhaskar 

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Last modified on Wednesday, 14 July 2021 17:02

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