MUDA Case News: सीएम कैंप ने ये साफ कर दिया है कि अगर डबल बेंच से भी राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा Featured

MUDA Case: कर्नाटक CM पद से इस्तीफा देंगे सिद्धारमैया? हाई कोर्ट से मिले झटके के बाद क्या हैं ऑप्शन

MUDA Case News: सीएम कैंप ने ये साफ कर दिया है कि अगर डबल बेंच से भी राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा.

MUDA Case Latest News: कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच से मंगलवार (24 सितंबर 2024) को राहत न मिलने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धारमैया अब कल यानी बुधवार (25 सितंबर 2024) को डबल बेंच के सामने अपील कर सकते हैं. सिद्धारमैया से जुड़े सूत्रों की मानें तो सीएम इसकी तैयारी कर रहे हैं. कर्नाटक सीएम की ओर से कहा गया, "मैं एक्सपर्ट्स से इस मसले पर चर्चा करूंगा. पार्टी के साथियों से भी बात करूंगा और फिर आगे के एक्शन पर फैसला लूंगा." 

दरअसल, कर्नाटक हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने मंगलवार को उनकी वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें उन्होंने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) साइट आवंटन मामले में उनके खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल की मंजूरी की वैधता को चुनौती दी थी. अदालत ने कहा कि राज्यपाल को व्यक्तिगत शिकायत के आधार पर मामला दर्ज करने की अनुमति देने का अधिकार है.

 

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक नहीं देंगे इस्तीफा

सीएम की ओर से डबल बेंच में अपील करने पर इस पिटीशन की सुनवाई पूरी होने तक निचली अदालत में सुनवाई पर रोक लगाने की अपील की जा सकती है. अगर डबल बेंच याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लेती है तो सिद्धारमैया को राहत मिल जाएगी. सीएम कैंप ने ये साफ कर दिया है कि अगर डबल बेंच से भी राहत नहीं मिली तो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा और तब तक सिद्धरामैया इस्तीफा देने के मूड में नहीं हैं.

झटके के बाद कर्नाटक सीएम ने क्या कहा?

 

हाई कोर्ट का पूरा आदेश अभी नहीं पढा है. पूरा ऑर्डर पढ़ने के बाद सवालों (पत्रकारों के) के जवाब दूंगा.

⁠हाई कोर्ट ने कहा कि 17A के तहत जांच हो सकती है. 218 और 19 PC एक्ट के तहत सेंक्शन को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. 218 के तहत प्रॉसिक्यूशन को पूरी तरह रिजेक्ट कर दिया है.

⁠जजमेंट पढ़ने के बाद लीगल एक्स्पर्ट और केबिनेट सहयोगियों, पार्टी नेताओं और हाईकमान से बात कर क्या कानूनी कदम उठाने पर उस पर चर्चा करूंगा.

बीजेपी ने धन बल से ऑपरेशन कमल से सरकार गिराने की कोशिश की पर वे कामयाब नहीं हुए. मैं बीजेपी और जेडीएस से डरने वाला नहीं हूं. ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य की जनता कांग्रेस पार्टी के साथ है, इनकी कोई कोशिश कामयाब नहीं होगी. ⁠जनता ने 136 MLA का मेंडेट दिया है.

बीजेपी सामाजिक न्याय की विरोधी है, हमारे गरीब कल्याण के कार्यक्रम के वे खिलाफ हैं. अब भी वो हमारी पांच गारंटी के खिलाफ हैं.

जहां भी विपक्षी दलों की सरकार है, बीजेपी उसे गिराने में लगी रहती है, कई जगह पर उन्हें सफलता भी मिली है पर कर्नाटक में ऐसा नहीं होगा. यहां की जनता हमारे साथ चट्टान की तरह खड़ी है. हमारी पार्टी के सभी जन प्रतिनिधि, पार्टी कार्यकर्ता और आलाकमान मेरे साथ हैं.

याचिका में सिद्धरामैया ने क्या कहा था?

 

सिद्धरामैया ने 17 अगस्त को गवर्नर की ओर से जारी आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17A के तहत जांच की अनुमति और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 218 के अनुसार अभियोजन की स्वीकृति दी गई थी.

धारा 17A सार्वजनिक अधिकारियों की ओर से आधिकारिक कार्यों या कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए अनुशंसाओं या निर्णयों से संबंधित अपराधों की जांच के लिए है.

मुख्यमंत्री की याचिका में दावा किया गया था कि स्वीकृति का आदेश बिना उचित विवेचना के जारी किया गया, जो विधिक आवश्यकताओं का उल्लंघन करता है और संवैधानिक सिद्धांतों के विपरीत है, जिसमें संविधान के अनुच्छेद 163 के तहत मंत्रिपरिषद की सलाह भी शामिल है, जो बाध्यकारी है.

यह भी कहा गया कि स्वीकृति का विवादित आदेश दुर्भावना से भरा है और राजनीतिक कारणों से कर्नाटक की निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने के लिए एक संगठित प्रयास का हिस्सा है.

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