बोलता गांव डेस्क।। आदिवासी बाहुल्य बलरामपुर जिले का कुसमी स्ट्रॉबेरी से गुलजार है. यहां के युवा किसानों ने परंपरागत खेती से हटकर मीठी रसीसी स्ट्रॉबेरी की खेती की है. फसल तैयार है. दाम भी अच्छे खासे मिल रहे हैं. लेकिन मार्केट तक माल पहुंचाने में कुछ दिक्कते हैं. कलेक्टर ने उद्यानिकी विभाग को निर्देश दिए हैं कि वो किसानों की मदद करे.
कुसमी में युवा किसानों ने मेहनत से स्ट्रॉबेरी की फसल तैयार की है. फसल भी जोरदार हुई. बाजार में 200 से 250 रुपये प्रति किलो इसकी कीमत लग रही है.
युवा किसानों की पहल
कुसमी के किसान नितेश कुजूर और उनके भाई सोनल कुजूर ने स्ट्रॉबेरी की खेती की. मेहनत रंग लायी और अब खेत में फल मुस्कुरा रहे हैं. ये नाजुक फल है. कुजूर बंधु बताते हैं कि स्ट्रॉबेरी की खेती की तैयारी वो सितंबर से करते हैं और जनवरी से अप्रैल तक फल मिलने लगता है. लोकल बाजार में इसकी कीमत 200 से 240 प्रति किलो मिल रही है.
मेहनत का फल
सोनल कुजूर का कहना है युवा किसान काफी मेहनत कर उद्यानिकी विभाग की मदद से तीन साल से स्ट्रॉबेरी उगा रहे हैं. फल भी काफी अच्छा निकलता है. कुसमी की जलवायु ठंडी होने के इसे पाले से बचाने के लिये उद्यान विभाग मलचिंग पेपर देता है. लेकिन एक शिकायत इनकी ये है कि मार्केट अच्छा नहीं मिल रहा.
मार्केट तक कैसे पहुंचें
जिले में ज्यादातर लोग स्ट्रोबेरी फल के बारे में कम जानते हैं. इसलिए कुसमी जैसे छोटे से शहर में किसान को मार्केट अच्छा नहीं मिल रहा है. कलेक्टर ने इस फल की खेती पर खुशी जाहिर करते हुए किसानों की समस्या पर उद्यान विभाग और कृषि विभाग को निर्देश दिए हैं. स्ट्रॉबेरी फल काफी कीमती होता है. बड़े शहरों में इसकी डिमांड काफी है. अगर मार्केटिंग की व्यवस्था अच्छी हो जाए तो छत्तीसगढ़ का फल देश के दूर इलाकों तक पहुंच सकता है.