जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर, 1889 तथा म्रत्यु 27 मई 1964 को हुई थी । उनके पिता का नाम मोतीलाल नेहरू था और मां का नाम स्वरूप रानी।
आइए आज उनकी पुण्यतिथि
के मौके पर उनकी कुछ अनमोल बातें जानते हैं...
- सफलता उन्हीं को मिलती है, जो निडर होकर फैसला लेते हैं और परिणामों से नहीं घबराते।
- अज्ञानता बदलाव से हमेशा डरती है।
- महान कार्य और छोटे लोग साथ-साथ नहीं चल सकते।
- हकीकत हमेशा हकीकत ही रहेगी और आपके नापसंद करने से गायब नहीं होगी।.संकट के समय में छोटी से छोटी चीज का भी महत्व होता है।
- नागरिकता देश की सेवा में निहित है।
- जो आदमी आपने आपको ज्यादा गुणी दिखाता है, वह सबसे कम गुणी होती है।
- लोगों की कला उसके उनका दिमाग का सही आईना है।
- हमारी सबसे बड़ी कमी है कि हम करने की बजाए बातें ज्यादा करते हैं।
- सुझाव देना और बाद में उसके गलत नतीजे से बचकर निकल जाना सबसे आसान है।
- जो आदमी आपने आपको ज्यादा गुणी दिखाता है, वह सबसे कम गुणी होती है।
- चुनाव जनता को राजनीतिक शिक्षा देने का विश्वविद्यालय है।
- लोगों की कला उनके दिमाग का सही दर्पण है।
- पूर्ण रूप से आन्दोलनकारी रवैया किसी विषय के गहन विचार के लिए ठीक नहीं है।
- बहुत अधिक सतर्क रहने की नीति सभी खतरों में सबसे बड़ा खतरा है।
- जाहिर है, दक्षता का सबसे अच्छा प्रकार वह है जो मौजूदा सामग्री का अधिकतम लाभ उठा सके।
- समाजवाद…ना केवल जीने का तरीका है, बल्कि सामजिक और आर्थिक समस्यों के निवारण के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण है।
- सालों के बीतने से समय नहीं मापा जाता बल्कि किसी ने क्या किया, क्या महसूस किया, और क्या हासिल किया इससे मापा जाता है।
- अच्छी नैतिक स्थिति में होना कम से कम उतना ही प्रशिक्षण मांगता है जितना कि अच्छी शारीरिक स्थिति में होना।
- जो व्यक्ति भागता है वह शांत बैठे व्यक्ति की तुलना में अधिक खतरे में पड़ जाता है।
- यदि पूंजीवादी समाज की शक्तियों को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो वो अमीर को और अमीर और गरीब को और गरीब बना देंगी।
- संस्कृति मन और आत्मा का विस्तार है।
- शांति राष्ट्रों का सम्बन्ध नहीं है। यह एक मन: स्थिति है जो आत्मा की निर्मलता से आती है। शांति सिर्फ युद्ध की अनुपस्थिति नहीं है। यह मन की एक अवस्था है।
- एक महान कार्य में लगन और कुशल पूर्वक काम करने पर भी, भले ही उसे तुरंत पहचान न मिले, अंततः सफल जरुर होता है।
- असफलता तभी आती है जब हम अपने आदर्श, उद्देश्य, और सिद्धांत भूल जाते हैं।
- संकट के समय हर छोटी चीज मायने रखती है।
- आपतियां हमें आत्म-ज्ञान कराती हैं, ये हमें दिखा देती हैं कि हम किस मिट्टी के बने हैं।
- हमारे अन्दर सबसे बड़ी कमी यह है कि हम चीजों के बारे में बात ज्यादा करते हैं और काम कम।
- लोकतंत्र और समाजवाद लक्ष्य पाने के साधन है, स्वयं में लक्ष्य नहीं।
- कार्य के प्रभावी होने के लिए उसे स्पष्ट लक्ष्य की तरफ निर्देशित होना चाहिए।
- लोकतंत्र अच्छा है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि बाकी व्यवस्थाएं और बुरी हैं।
- दुसरों के अनुभवों से लाभ उठाने वाला बुद्धिमान होता है।
- सह- अस्तित्व का केवल एक विकल्प है सह- विनाश।
- एक नेता या कर्मठ व्यक्ति संकट के समय लगभग हमेशा ही अवचेतन रूप में कार्य करता है और फिर अपने किये गए कार्यों के लिए तर्क सोचता है।