बोलता गांव डेस्क।। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोरोनो वायरस (कोविड -19) के खिलाफ दी जाने वाली वैक्सीन की बूस्टर डोज को व्यापक तरीके से दिए जाने की आलोचना की है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि किसी भी वैरिएंट को देखकर इस तरह की नीति को अपनाने से पहले सोचना चाहिए कि अभी भी बहुत से ऐसे देश हैं, जहां वैक्सीनेशन काम अभाव में नहीं हो रहा है। बूस्टर डोज यानी तीसरी खुराक के उपयोग से वैक्सीन असमानता और महामारी दोनों बढ़ने लगेगी। गरीब राष्ट्र के लोगों के लिए वैक्सीन मिलना मुश्किल हो जाएगा।
अंधाधुंध बूस्टर डोज दिए जाने की वजह महामारी और लंबा चलेगा बता दें कि सभी वैक्सीन खुराकों का करीब 20 फीसदी बूस्टर या तीसरी डोज के तौर पर दिया जा रहा है। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि इस तरह से अंधाधुंध बूस्टर डोज दिए जाने की वजह महामारी और लंबा खिंचेगा। डब्ल्यूएचओ ने कहा है कि हमारा फोकस जल्द से जल्द दुनियाभर के सभी देशों में वैक्सीनेशन अभियान को तेजी लाने पर दिया जाना चाहिए।
बूस्टर डोज पॉलिसी का विचार अच्छा क्यों नहीं है?
डब्ल्यूएचओ ने वैक्सीनेशन पर रणनीतिक सलाहकार समूह (एसएजीई) और उसके कोविड-19 टास्क फोर्स के सलाह से यह रिपोर्ट निकाला है कि अस्पताल में भर्ती होने और कोरोनो वायरस बीमारी से होने वाली मौतों का अधिकांश हिस्सा वर्तमान में अशिक्षित लोगों में है। ना की उन लोगों में जो पहले वैक्सीन ले चुके हैं। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि वैक्सीन की दोनों डोज लेना अधिक जरूरी है ना कि बूस्टर डोज।