बोलता गांव डेस्क।।
एक ओर देश में आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। तो वहीं नवगठित जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ में कई गांव ऐसे हैं,जहां बुनियादी सुविधाओं से वांचित हैं। सड़क, बिजली, पानी और आवास योजना की सुविधा लोगो को नहीं पहुंच पा रही है। जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उपेक्षा का खामियाजा आम जनता को भुगता पड़ रहा है। ऐसा ही मामला सारंगढ़ जिले के ग्राम पंचायत मल्दाब का आश्रित गांव देवसर का है।
गोमर्डा अभयारण्य के बीच बसे गांव के लोग विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है। जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किमी दूर ग्राम पंचायत मल्दा ब के आश्रित गांव देवसर के लोग वर्षों से बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। देवसर पेयजल, आवास योजना, तेंदूपत्ता संग्रहण आदि जैसे सरकारी योजनाओं की लाभ व सुविधाओं से वंचित है। गांववालों को मताधिकार तो मिला है, लेकिन इसका लाभ चुनाव लड़ने वालों तक ही सीमित है। गोमर्डा अभयारण्य के बीच बसे होने का खामियाजा यहां के ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है। सरकार के कल्याणकारी योजनाओं से वंचित होने के कारण विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर अभाव में जिंदगी जीने को मजबूर हैं।
बरसात मे पहाड़ी नालों से बहती पानी से गुजर बसर करने वाले ग्रामीणों को भीषण गर्मी में निस्तारी व पानी टंकी और ट्यूबवेल है, जो सालों से बंद है। नल की टोटी से पानी के बजाय हवा निकलती है। ग्रामीणों ने बताया कि बारिश के मौसम मे निस्तारी व पेयजल की सुविधा मिलती है, लेकिन अक्टूबर नवम्बर लगने के साथ ही निस्तारी और पानी की परेशानी होने लगती है जो आगामी बरसात तक बनी रहती हैं। ग्रामीणों ने बताया कि निस्तारी और पेयजल के लिए दो किमी की दूरी तयकर पंचायत मुख्यालय तक आते हैं।
जनप्रतिनिधि और अधिकारी इस दिशा मे कोई प्रयास नहीं करते हैं। पेयजल की किल्लत से जूझना पड़ रहा है। इधर मामले में सरपंच घुराऊ सारथी का कहना है की पानी की समस्या को लेकर विधायक द्वारा बोर खनन कराया गया था। प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत सूचियों में नाम ही नहीं है। गांव वालों ने मुझे सूचना दी है। खेत में बोर है, लेकिन जल स्रोत नीचे चले जाने के कारण पाइप लगाने के लिए कर्मचारियों से कह दिया है। दो-चार दिन में बोर चालू हो जाएगा।