बोलता गांव डेस्क।।
छात्रों के मुकाबले छात्राओं के लिए स्कूल की राह आसान नहीं है। ऐसा हम नहीं, आंकड़े कहते हैं। राज्य के 59% महिला व 80% पुरुष साक्षर हैं। इसके लिए कई वजहों में से एक बच्चियों का स्कूल तक नहीं पहुंच पाना है।
रायपुर के कलेक्टर जनदर्शन में जिला दंडाधिकारी डा. सर्वेश्वर भूरे के सामने भी एक ऐसा ही मामला आया, जिसमें 11वीं कक्षा की स्कूली छात्रा आकांक्षा महिलांग ने शहर में सरकारी विभाग की बदइंतजामी से छात्रावास उपलब्ध न होने की बात बताई।
बच्ची ने कहा, उसे रोजाना 25 किमी की दूरी तय कर स्कूल आना पड़ रहा है। यदि हास्टल नहीं मिला तो उसे स्कूल आना बंद कर पढ़ाई छोड़नी पड़ेगी। राजधानी रायपुर में शिक्षा के लिए बच्ची के इस संघर्ष से कलेक्टर भूरे भी प्रभावित हुए बिना नहीं रह सके।
छात्रा की व्यथा समझते हुए उन्होंने तुरंत ही ट्राइबल कमिश्नर को बुलाकर विभागीय अव्यवस्था पर उन्हें फटकार लगाई और बच्ची के लिए छात्रावास का इंतजाम करने को कहा। कलेक्टर के इस त्वरित फैसले से आंकाक्षा का स्कूली सफर जहां आसान हुआ, वहीं यह होनहार बच्ची शाला त्यागी बच्चों में शामिल होने से बच गई।