दौसा. साइबर अटैक… ये एक ऐसा शब्द है जिसने लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन छीन लिया है. इसकी मदद से हैकर्स ने लोगों का डेटा और इंफॉर्मेशन तो चुराया ही है, साथ ही, बैंक अकाउंट तक खाली कर दिए. साइबर अटैक के बारे में आज भी कई लोग नहीं जानते हैं, यही वजह है कि फोन पर आए एक SMS, वॉट्सऐप पर मिले मैसेज या फिर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लिंक पर एक क्लिक करने से सारा काम बिगड़ जाता है.
मानपुर सीओ कार्यालय में कार्यरत दीप्ति शर्मा बताती हैं कि साइबर ठग अनेक तरीके अपना कर ठगी का प्रयास करते हैं. वर्तमान में सबसे अधिक चलन में पुलिस अधिकारी या सीआईडी या अन्य अधिकारी बनकर वीडियो कॉल या वॉइस कॉल व्हाट्सएप पर करते हैं. इसके बाद जिस भी व्यक्ति को कॉल की गई है उसे अपने जाल में फंसा लेते हैं और उस व्यक्ति को कॉल डिस्कनेक्ट नहीं करने देते हैं और वे अनेक प्रकार की जानकारियां आप से ले लेते हैं. वहीं वॉइस कॉल कर ओटीपी लेने का प्रचलन भी चल रहा है.
क्या है डिजिटल अरेस्टिंग?
दीप्ति शर्मा बताती हैं कि पहले जब एटीएम से हैंगिंग होती थी तो लोग उसे समझ पाते थे. डिजिटल अरेस्टिंग चलन में चल रहा है जबकि पुलिस के खाते में डिजिटल अरेस्टिंग शब्द कोई काम में नहीं आता है. आमजन को पुलिस का अधिकारी बनकर एसीबी का अधिकारी बनकर या कोई भी विभाग का अधिकारी बनकर कॉल करता है. वीडियो कॉल के माध्यम से भी वह कॉल कर देता है और वीडियो कॉल के माध्यम से एक बार बात करने के बाद आमजन को वह फसाता चला जाता है और कॉल को काटने भी नहीं देता है और आमजन के मन को भी वह बातों ही बातों में उलझा लेता है. साइबर आमजन से खाते में पैसे होने की जानकारी ले लेता है और उसके मोबाइल को वह हैंग कर लेता है.
योजनाओं के नाम से करते हैं ठगी
वह बताती हैं कि साइबर ठग अलग-अलग दिन में अलग-अलग अंदाज में ठगी गई करने का प्रयास करते हैं. जिसमें वह सरकार की किसी भी योजना के नाम से एपीके फाइल को वायरल करते हैं और उसे एपीके फाइल का सरकार के नाम से चित्र बना लेते हैं और उसे एपीके फाइल को खोलने के बाद में किसी भी व्यक्ति का फोन हैंग हो जाता है. अगर एक व्यक्ति का फोन हैंग होता है तो उस व्यक्ति के जितने भी व्हाट्सएप ग्रुप होते हैं उनमें वह वायरल कर देता है और उस फाइल को जो भी कोई खोलता है तो मोबाइल के इंटरनल मेमोरी हैंग हो जाती है और एपीके फाइल खोलने वाले व्यक्ति का पूरा मोबाइल साइबर ठग के सामने खुल जाता है. साइबर ठग मोबाइल को हैंग कर टेक्स्ट मैसेज भी वह अपने पास में ले लेता है जिससे उसे ओटीपी जैसे मैसेज लेने में आसानी हो जाती है. और वह खाते में जितने भी पैसे होते हैं उन्हें निकालने का काम कर लेते हैं.
घर-घर घूमने वाले लोगों से भी रहे सावधान
दीप्ति शर्मा बताती हैं कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्र में अच्छे कपड़े पहनकर गले में आईडी कार्ड लगाकर और गाड़ी में एक छोटी सी मशीन लेकर कई बार साइबर ठग घूमते हैं. वह बिजली के बिल के नाम से केवाईसी अपडेट करा लें, आधार कार्ड के नाम से केवाईसी अपडेट करने के लिए या किसी भी विशेष योजना के नाम से या पैन कार्ड अपडेट करने के नाम पर भी ठगी करते हैं. सरकार की ओर से ऐसी कोई भी व्यक्ति नहीं भेजा जाता है सारे विभागों के कार्यालय में यह केवाईसी करने का कार्य करवाया जाता है. कभी भी ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में नहीं आए.
साइबर ठगों से बचाव के तरीके
साइबर क्राइम की जानकार दीप्ति शर्मा बताती हैं कि व्हाट्सएप या टेलीग्राम सहित अन्य सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर अगर APK फाइल के नाम से कोई फाइल होती है तो उसे खोलने से बच्चे, जिससे आपका मोबाइल हैंग नहीं होगा और आप साइबर ठगी के चंगुल में नहीं आएंगे. सबसे अधिक ठगी व्हाट्सएप के माध्यम से होती है तो जिस भी व्यक्ति का मोबाइल है और उस व्यक्ति को जितने व्हाट्सएप ग्रुपों की जरूरत हो उतने ही व्हाट्सएप ग्रुप रखें. प्रत्येक व्यक्ति को अपने व्हाट्सएप ग्रुपों की जानकारी होती है. वहीं ग्रुप अपने मोबाइल में रखें जो अपने काम के हैं. गांव-गांव और घर-घर में केवाईसी के नाम से घूमने वाले साइबर तो से बचना चाहिए ऐसे व्यक्तियों के संपर्क में आकर भी उन्हें किसी प्रकार की जानकारी नहीं देनी चाहिए.