संयुक्त राष्ट्र संघ की संस्था यूनिसेफ ने छत्तीसगढ़ के गांवों में सरपंचों का एक अलग ही नेटवर्क तैयार किया है। नाम दिया है सीजी-पंच (छत्तीसगढ़ पंचायत नेटवर्क फॉर चिल्ड्रेन)। यह नेटवर्क ग्राम पंचायतों में बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, शिक्षा और सुरक्षा में सुधार के लिए काम करेगा। यूनिसेफ को उम्मीद है कि इस नेटवर्क के जरिए वे गांवों में बदलाव की नई कहानी लिख पाएंगे।
यूनिसेफ छत्तीसगढ़ के प्रमुख जॉब जकरिया ने बताया, संविधान के तहत सरपंच सरकार के तीसरे स्तर के प्रमुख हैं। वे बेहतर ज्ञान और क्षमता के साथ अपनी ग्राम पंचायतों में बच्चों और महिलाओं के जीवन में बदलाव ला सकते हैं। इस नेटवर्क के माध्यम से सरपंचों को उनकी ग्राम पंचायतों में बाल मृत्यु दर और कुपोषण का स्तर कम करने में, बच्चों की शिक्षा सुनिश्चित करने में मदद की जाएगी। उन्हें बाल विवाह और बाल श्रम को रोकने के लिए भी प्रेरित किया जाएगा। यूनिसेफ के बाल परितोष दास ने बताया, दूसरे चरण में राज्य के 1.5 लाख ग्राम पंचायत सदस्यों को भी सीजी-पंच नेटवर्क में शामिल किया जाएगा। यूनिसेफ के इस नेटवर्क का औपचारिक उद्घाटन जगदलपुर में हुआ है।
महिला और जनजातीय सरपंचों के लिए अलग-अलग फोरम
यूनिसेफ के छत्तीसगढ़ प्रमुख जॉब जकरिया ने कहा, सीजी-पंच नेटवर्क के तहत विशिष्ट मुद्दों पर चर्चा करने के लिए महिला सरपंचों और आदिवासी सरपंचों के अलग-अलग फोरम गठित किये जाएंगे। छत्तीसगढ़ के 10 हजार 871 सरपंचों में से 5 हजार 461 यानी करीब 51 प्रतिशत महिलाएं हैं। छत्तीसगढ़ के 28 जिलों में 11 हजार 664 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें से 13 जिलों की 5 हजार 50 ग्राम पंचायतें पांचवीं अनुसूची क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। इसमें ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार प्राप्त है।
हर जिले में इस नेटवर्क का सोशल मीडिया ग्रुप होगा
यूनिसेफ अधिकारियों ने बताया, इस नेटवर्क का मकसद आधुनिक शिक्षण तकनीकों के जरिए सरपंचों की क्षमता का विकास करना है। इस कोशिश में प्रत्येक जिले के लिए नेटवर्क का एक फेसबुक पेज और वॉट्सएप ग्रुप होगा। इनपर जानबो अप्पन योजना, मोला देखल एहन पंचायत और मोर कहानी-मोर जुबानी कॉलम से न्यूजलेटर भी प्रकाशित किए जाएंगे।
युवा स्वयंसेवक भी जोड़े जाएंगे
बताया गया, प्रत्येक ग्राम पंचायत में कार्यक्रमों के संचालन और निगरानी के लिए नेटवर्क से जुड़े सरपंच युवा स्वयंसेवकों की मदद लेंगे। हर ग्राम पंचायत में सरपंचों की सहायता के लिए 2 से 3 स्वयंसेवक होंगे। बस्तर जिले में पहले से ही युवोदय कार्यक्रम के तहत 5 हजार से अधिक स्वयंसेवक कार्यरत हैं।