छत्तीसगढ़ : कलेक्टर जनमेजय महोबे के सफल प्रयास से की जा रही "गढ़बो नवा बालोद" की पहल Featured

story by: Ravi bhutta 
 
बालोद- सूबे के मुखिया भूपेश बघेल का सपना "गढ़बो नवा छत्तीसगढ़" जिले में सार्थक होता नजर आ रहा हैं। कलेक्टर जनमेजय महोबे के सफल प्रयास से अब "गढ़बो नवा बालोद" की पहल की जा रही है। जहां जिले में कोरोना जैसी महामारी के दौरान भी लोगों को राहत पहुंचाने का कार्य किया जा रहा है। जिसमें नरवा, गरुवा, घुरवा, अऊ बाड़ी योजना अंतर्गत जिले में चल रहे विभिन्न कार्य, मोबाइल मेडिकल यूनिट, मनरेगा का कार्य, गोधन न्याय योजना, यह अभी कार्य बेहद ही सुचारू रूप से किया जा रहा है। जिससे बालोद जिले के ग्रामीणों को राहत मिली है। कलेक्टर जनमेजय महोबे के मार्गदर्शन और सफल क्रियान्वयन से जिले के हर आखिर व्यक्ति को योजनाओं का लाभ मिल रहा हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं में भी काफी सुधार देखने मिल रहा है। जिसका प्रतिसाद यह है कि आज जिले में पॉजिटिविटी दर में लगातार गिरावट आ रही हैं। श्री महोबे रोजाना प्रमुख विभागो के अधिकारियों की मीटिंग लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे हैं। गौठानो का आकस्मिक निरीक्षण कर कार्यों का जायज़ा ले रहे हैं। साथ ही उचित दिशा निर्देश भी दे रहे हैं।
 
जिले के गौठान "मल्टीयूटिलिटी सेंटर" के रूप में हो रहे है विकसित-
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा था कि गौठान छत्तीसगढ़ की परंपरा का हिस्सा है, जिन्हें आधुनिक स्वरूप देकर व्यावसायिकता से जोड़ा जा रहा है। श्री बघेल की मंशा थी कि गौठानों के माध्यम से ग्रामीणों के लिए रोजगार के अवसर पैदा हो सके और उन्हें आय का जरिया मिल सके। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह भी कहा था कि गौठान और गोधन न्याय योजना मूलरूप से ग्रामीणों की अपनी योजना है। इस योजना को प्रारंभ करने के लिए राज्य सरकार द्वारा सभी संसाधन और व्यवस्थाएं उपलब्ध कराई जा रही है। आने वाले समय में ग्रामीण स्वयं इन योजनाओं का संचालन करेंगे। सीएम भूपेश बघेल की इस मंशा को ध्यान में रख आज जिले के गौठान मल्टीयूटिलिटी सेंटर के रूप में विकसित हो रहे हैं। कलेक्टर जनमेजय महोबे के कुशल मार्गदर्शन और जिला पंचायत सीईओ लोकेश चंद्राकर के नेतृत्त्व जिले में संचालित गौठाने "मल्टी यूटिलिटी सेंटर" के रूप में विकसित हो रहे हैं। आज गौठानो में विभिन्न तरह के कार्य जैसे गोबर खरीदी, पशुधन एवं चारा व्यवस्था, चारागाह विकास, सामुदायिक बाड़ी, मछली पालन, कुक्कुट पालन, मशरूम उत्पादन, केंचुआ उत्पादन और वर्मी कंपोस्ट निर्माण किये जा रहे हैं। किसानों, ग्रामीणों, पशुपालकों और महिला स्व सहायता समूहों को लाभ पहुचाने के लिए जिले के सभी गौठान मल्टीयूटिलिटी सेंटर के रूप में विकसित किये जा रहे हैं। महिलाएं भी घर के चूल्हे चौके से बाहर निकल आत्मनिर्भर बन रही हैं। गौठान में निर्मित प्रोडक्ट अब बालोद बाजार के माध्यम से मार्केट में आ रहे हैं। लोग इन प्रोडक्ट में खासी दिलचस्पी भी दिखा रहे हैं। जिला प्रशासन भी बालोद बाजार पर ज्यादा फोकस कर रहा हैं।
 
मोबाइल मेडिकल यूनिट ने गांव-गांव दिया स्वास्थ्य का लाभ-
 
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सोच थी कि ग्रामीणों को स्वास्थ्य का लाभ उनके घर पहुंच मिले। जिससे लेकर बालोद जिले में मुख्यमंत्री चलित चिकित्सा वाहन मोबाइल मेडिकल यूनिट तैयार किया गया। इस वाहन में समस्त स्वास्थ्य परीक्षण करना, अंतिम व्यक्ति तक स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाना, स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना, मातृ शिशु मृत्यु में कमी लाना, हाट बाजार क्लीनिक के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तारीकरण करना, गांव में आगामी समय किस महामारी का आंकलन होना चाहिए, इन सभी बातों को लेकर यह मोबाइल मेडिकल यूनिट गांव-गांव जाकर लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रही है। इस यूनिट में सभी तरीके की सुविधाएं उपलब्ध कराई गई है और मेडिकल यूनिट में तमाम स्वास्थ्य कर्मी और डॉक्टर मोबाइल मेडिकल यूनिट के जरिए ग्रामीणों को स्वास्थ्य लाभ दे रहे हैं। जो बेहद ही सुचारू रूप से किया जा रहा है। कोरोना महामारी के दौरान कंटेनमेंट जोन में भी जाकर इस मोबाइल मेडिकल यूनिट ने लोगों को स्वास्थ्य का लाभ दिया है। जिससे ग्रामीणों को काफी राहत मिली है। मोबाइल मेडिकल यूनिट के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत अंतिम व्यक्ति तक सुलभ स्वास्थ्य सुविधा मिलने से जिले के समस्त स्वास्थ्य संबंधित सूचकांकों में बेहतर परिणाम मिल रहे हैं। मरीजों को आवश्यकतानुसार जरूरी दवाएं उपलब्ध हो रही है। जिससे परिवार द्वारा स्वास्थ्य सेवा पर किये जाने वाले व्यय में कमी आएगी। विभिन्न व्याधियों के क्षेत्रवार पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा।जिससे भविष्य में राज्य में किसी भी महामारी को फैलने से पूर्व ही रोका जा सकेगा।
 
मनरेगा ने लोगो दिया काम आर्थिक लाभ दिलाया-
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जिले में मनरेगा का काम बेहद ही सुचारू रूप से किया गया। ख़ासकर लॉकडाउन के समय संजीवनी साबित हुई हैं। मुख्यमंत्री की सोच थी कि हर अंतिम व्यक्ति को रोजगार गारंटी में काम मिले। उल्लेखनीय हो कि महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत बालोद जिले में 1 लाख 56 हजार 405 परिवार पंजीकृत है। वही श्रमिक 3 लाख 80 हजार हैं। जहां जिले में 84 लाख 54 हजार मानव दिवस अर्जित किया है। जो कि अब तक का सबसे ज्यादा 124 प्रतिशत रहा है। प्रति परिवार औसतन मानव दिवस 64 मानव दिवस माना गया है। यहाँ यह कहना गलत नही होगा कि  मनरेगा में बालोद जिले ने नया कीर्तिमान रचा है। पिछले वर्ष कोरोनाकाल एवं लॉकडाउन के दौरान भी मनरेगा ने संजीवनी बूटी का काम किया हैं।
 
गौधन न्याय योजना किसानों के लिए बना वरदान-
जिले में गौधन न्याय योजना के तहत गौपालको को गोबर बेच के धन का लाभ हुआ है। जिससे कई किसान आर्थिक रूप से समृद्ध हुए हैं। जिले में कुल ग्राम पंचायत 435 है। जहां 391 गौठान  स्वीकृत है। 207 गौठान अब तक की पूर्ण हो चुके हैं और गोधन न्याय योजना अंतर्गत पंजीकृत गौठान 190 है। इस योजना अंतर्गत संचालित 180 है। बालोद जिले में 2 लाख 1 हजार  क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। जिसकी 3 करोड़ 93 लाख की राशि किसानों को दी जा चुकी हैं। योजना अंतर्गत वर्मी कंपोस्ट 12 हजार 958 क्विंटल जिसकी राशि 12 लाख 95 हजार है। गोधन अंतर्गत गोबर से तैयार कर वर्मी कंपोस्ट गोबर की लकड़ी गोबर की धूपबत्ती निर्माण किया जा रहा है। योजनाओं में महिलाओं को भी रोजगार मिला है। जो कि भूपेश बघेल की सोच के साथ इस योजना को बालोद जिले में सार्थक कर रहा है।
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
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