मजदूर मां-बाप का साइंटिस्ट बेटा : जिस गांव में हाईस्कूल भी नहीं था वहां का होनहार NIT पहुंचा, ऐसा मेमोरी कार्ड बनाएगा जिसका स्टोरेज सबसे अधिक... Featured

बोलता गांव डेस्क।।IMG 20220409 145947

कहते हैं कामयाबी अमीरी और गरीबी नहीं देखती हौसला देखती है। ऐसा ही हौसला कबीरधाम जिले के एक छोटे से गांव सूखाताल निवासी दुर्गा प्रसाद साहू के अंदर साइंटिस्ट बनने का था। नतीजा दुर्गा अपनी कड़ी मेहनत और लगन के चलते आज एनआईटी राउरकेला में मटेरियल साइंस पर रिसर्च कर रहा है। उसका चयन इंस्पायर फेलोशिप के लिए हुआ है। इस फेलोशिप की मदद से वह बड़ा साइंटिस्ट बनना चाहता है। दुर्गा ने दैनिक भास्कर को अपने संघर्ष के बारे में बताया।

 

दुर्गा के पिता चंपूराम और मां कुंमारी बाई साहू दूसरों के खेतों में मजदूरी करते हैं। उनकी आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि वह अपने बेटे को अच्छे इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ा सकें। दुर्गा भी अपने घर की आर्थिक स्थिति को समझता था।

 

उसने प्राइमरी स्तर की शिक्षा अपने ही गांव सूखाताल से की। इसके बाद शासकीय हाईस्कूल पोड़ी से 12वीं तक की पढ़ाई की। पिता ने फीस और किताब का खर्च उठाने में असमर्थता जताई तो दुर्गा ने ट्यूशन पढ़ाकर खर्च निकाला। वह पढ़ने में इतना अच्छा था कि स्कूल में अध्यापकों और स्टूडेंट्स का चहेता था।

 

उसकी लगन को देखकर अध्यापकों ने उसकी फीस अपने पास से भरी तो दोस्तों की मदद व खुद के प्रयास से किताब व अन्य खर्च निकाला। इसके बाद उसने कवर्धा कॉलेज से बीएससी किया और फिजिक्स लेकर एमएससी, रवि शंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से की। यहां भी उसने टॉप रैंकिंग में अपनी जगह बनाई। इसके बाद 25 मार्च 2022 को उसका चयन एनआईटी राउरकेला में रिसर्च के लिए हुआ। दुर्गा इंस्पायर फेलोशिप लेकर एनआईटी राउरकेला में मटेरियल साइंस पर प्रोफेसर अनिल कुमार सिंह के निर्देशन में रिसर्च कर रहा है।

 

क्या है इंस्पायर फेलोशिप

 

इंस्पायर फेलोशिप हर राज्य के टॉपर स्टूडेंट को दी जाती है। इसके लिए पूरे देश से 1000 बच्चों का हर साल चयन किया जाता है। इसमें उन बच्चों को चयनित किया जाता है जो 10वीं के टॉपर होते हैं और बोर्ड से उन्हें टॉप वन परसेंट का अप्रूवल लेटर मिलता है। इस लेटर के साथ-साथ स्टूडेंट्स को कॉलेज में भी टॉप रैंकिंग से पास होना होता है। इसी आधार पर स्टूडेंट्स को डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के पोर्टल में जाकर अप्लाई करना होता है। यह फेलोशिप पांच सालों के लिए मिलती है। इसके बाद अगर स्टूडेंट आगे और रिसर्च करना चाहता है तो उसे उसके लिए फिर से अप्लाई करना होता है। यह फेलोशिप बेसिक साइंस रिसर्च के लिए दिया जाता है।

 

क्या है मटेरियल साइंस रिसर्च का उद्देश्य

 

मटेरियल साइंस रिसर्च एक तरह से किसी बड़ी क्षमता या पॉवर को एक छोटी से चीज में डालना है। दुर्गा अपनी रिसर्च में एक ऐसा सेंसर डेवलप कर रहा है जो वर्तमान में उपलब्ध सेंसरों से अधिक प्रभावशाली हो। इसके साथ साथ वह एक मेमोरी डिवाइस डेवलप कर रहे हैं, जिसकी स्टोरेज क्षमता वर्तमान में उपलब्ध मेमोरी डिवाइस से कई गुना अधिक होगी।

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