पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री टी.एस. सिंहदेव मंत्रालय में विभिन्न विभागीय योजनाओं की समीक्षा की। सिंहदेव ने बैठक में मनरेगा के अंतर्गत पिछले वित्तीय वर्ष 2020-21 और चालू वित्तीय वर्ष 2021-22 में अब तक संपादित कार्यों की समीक्षा की। उन्होंने बीते साल विपरीत परिस्थितियों में इस योजना के उत्कृष्ट क्रियान्वयन के लिए मनरेगा टीम की पीठ थपथपाई। उन्होंने सभी वर्गों के श्रमिकों के साथ ही जरूरतमंद महिला श्रमिकों, दिव्यांगजनों और वनाधिकार पट्टाधारी परिवारों को पर्याप्त संख्या में रोजगार मुहैया कराने के निर्देश दिए। श्री सिंहदेव ने मनरेगा कार्यस्थलों में महिला मेट की संख्या कम से कम 50 प्रतिशत तक पहुंचाने कहा। उन्होंने कोविड एप्रोप्रिएट व्यवहार का पालन करते हुए पूरी सतर्कता के साथ मनरेगा कार्य संचालित करने को कहा।
मुख्य निर्देश
मनरेगा कार्यस्थलों में महिला मेट की संख्या कम से कम 50 प्रतिशत तक पहुंचाई जाये
कोविड एप्रोप्रिएट व्यवहार का पालन करते हुए पूरी सतर्कता के साथ मनरेगा कार्य संचालित करने को कहा।
मनरेगा के अंतर्गत वन और उद्यानिकी विभाग के साथ ही अन्य विभागों में वृक्षारोपण के कार्यों में तेजी से किये जाये
नरवा उपचार के कार्यों के लिए डीपीआर तैयार करने हेतु जल्द स्वीकृति प्रदान
महिलाओं की आमदनी बढ़ाने वाली गतिविधियां पर्याप्त संख्या में संचालित करने के निर्देश
चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 6.23 करोड़ मानव दिवस रोजगार का सृजन
मल्टी यूटीलिटी सेंटर्स के माध्यम से 201 स्वसहायता समूहों की महिलाओं को रोजगार
4.86 करोड़ रूपए के उत्पादों की बिक्री*
प्रदेश में 6112 गौठानों का निर्माण पूर्ण, 3174 प्रगतिरत
सिंहदेव ने राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन और गौठानों में महिला स्वसहायता समूहों द्वारा स्वरोजगार के माध्यम से महिलाओं की आमदनी बढ़ाने वाली गतिविधियां पर्याप्त संख्या में संचालित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इन रोजगारमूलक गतिविधियों में शामिल प्रत्येक महिला को हर महीना कलेक्टर दर के बराबर आय होनी चाहिए। उन्होंने गौठानों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी इकाईयों के रूप में विकसित करने को कहा। पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री ने प्रदेश भर में संचालित 15 मल्टी यूटिलिटी सेंटर्स के गतिविधियों की भी जानकारी ली। बैठक में बताया गया कि इन सेंटर्स में महिलाओं के स्वरोजगार के लिए 101 तरह की गतिविधियां संचालित की जा रही हैं। इनके जरिए 201 स्वसहायता समूहों की 1477 महिलाओं को रोजगार मिल रहा है। इन सेंटर्स में निर्मित उत्पादों की बिक्री से चार करोड़ 86 लाख रूपए प्राप्त हुए हैं।